SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एकवीसमो संधि पंच-वि वंभण-वेसे पहिय-विसेसे दूरुझिय रण-मरण-भय । जहिं दोमइहे संयंवर सुद्द मणोहरु पंडव तं मायंदि गय ॥१ सई देवि हुयासणु जउ-भवणे णिवेवि हिडिवु हिडिव-वणे वग-रक्खस-जीविउ अवहरेवि चंपाउरि वइदिसु पइसरेवि मायंदि-णयर गय पंडु-सुय णं लोय-पाल णिय-णिलय-गय पुरे जण-मण-णयणाणंदणेहिं पइसंतेहिं कोतिहे गंदणेहिं पप्फुल्लिउ सयल-वणप्फइहिं सलिलई वटियई महाणइहि जायई उजाणई वहु-फलई कर-गेज्झई पण्णई फोप्फलई गोट्टइं परिवटिय-गोरसई उच्छुवणई विउण-तिउण-रसई धण-धण्णइ कहि-मि ण माझ्यई पिक्कई अहिमुहइं पराइयइं धत्ता णं णयरिए अणुमण्णियउ दूरहो सण्णिउ पवणुद्धय-धय करेवि कर । सव्व-साइं लहु आवहि काई चिरावहि परिणहि दुमयहो तणिय-सुय ॥९॥ [२] भुय-दंड-चंड-किय-मंडवेहिं पुरु दुमयहो दीसइ पंडवेहि णं तुझेवि सग्ग-खंड पडिउ णं वसुमइ-जोऽवणु णिवडिउ जहिं कुहिणिउ खुण्ण-तुरंगमउ गय-मय-णइ-कदम-दुग्गमउ जहिं हट्ट-मग्गु लोयण-सुहउ तंवोल-वहल-परिमल-मुहउ जहिं मणि-तोरणइं धरंगणइं किय-छण-भुंजाविय-वंभणई जहिं भूमिउ मणि-कुष्टिम-मलउ कुवलय-सम्मजण-गय मलउ ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy