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वीसमो संधि
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[ १२] पहुहे पासे महवत्तु पढुक्कउ - अगंयवद्णु पेसणु चुक्कउ को वि दियवरु दिढ-कटिण-भुयग्गलु तेण तलापए घाइउ मयगलु भणइ कण्णु करि खयहो पगच्छउ वंभणु जीवमाणु फुडु अच्छउ तेत्थहो दुद्दम-दणु-दलवट्टण पंडव गय तं बइदिसु पट्टण जहिं परवइ णामेण पसि(विस)द्धउ माणुस-मिसेण णाई मयरद्धउ . तहिं पइसरइ भीमु भिक्खथिउ णवर णराहिवेण अभत्थिउ .. .. अहो कुसुमाउह-रूव-वियंभण कण्णा-भिक्ख लइज्जइ वंभण .... तेण-वि लइय महापरिओसें दियवर-पणइ-पणव-णिग्घोसे ८
वत्ता परिणिज्जइ भीमें राय-सुय इच्छिय-विहउ विवाहु किउ । . पण्णारह दिवस स-तीसहिं सुरउ सयं भुजंतु थिउ ॥९॥
इय रिट्ठणेमिचरिए धवलासिय सयंभुवकए
वीसमो इमो सग्गो ॥२०॥
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