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________________ रिट्ठणेमिचरिउ [१०] छुहेवि तमीयरु रह-उच्छोलिहे - घत्तिउ दाहिण-णयर-पओलिहे. जणवउ णिरवसेसु. परिओसिउ... जेण णिसायर-सायरुः सोसिङ तेण समाणु कवणु जणु. जोयइ को-वि सुवण्णु धण्णु धणु ढोयइ . को-वि देइ कंतर कडि-सुत्तउ कोह-वि णिय-भंडारु जि बुत्तर को-व देइ रुप्पियई विसालई को-वि. सुवण्णमयई वर-थालई .. सब्बई लेवि देवि जिणयासहो मंदिर किउ कंदप्प-विणासहो अच्छेवि चाउमासि गय पंडव अडइ पइट्ठ चंड वेयंड व चंपा-णयरि पराइय काले दिण्ण यत्ति तहिं काले कुलाले ८ धत्ता तो भीमें चक्कु भमाडियउ तेण भवंते काई किउ । जं वरिसें भायणु णिम्मविउ तं णिविसढ़ें खयहो णिउ ।।९।। [११] तो कोतिए अक्कोसिउ गंदणु , जहिं तुहं जाहि तहिं जि कडमहणु णिय जणणियहे दिण्णु पडिउत्तरु हट्ट-मग्गु पइसरइ विओयरु भत्त-वणिज-साल परिसक्किउ दिण्णु सुवण्णु तहिं धरेवि ण सक्किड रोडउ करइ जाम कुवियाणणु ताव वलुध्दरु अंगयवद्धणु . कण्णहो तणउ हस्थि तहिं पावई पाउसे पझरंतु गिरि णावइ । णिभर-यामिर-भमर-मय-मत्तउ णं खय-काले मेहु गज्जंतउ मेंछु णिवारइ दियवर ओसरु हउं संथवेवि ण सक्कमि कुंजरु . पभणइ भीमु समुण्णय-माणा : हडं जि हत्थि को हत्थि अयाणा ८ धत्ता । . करि करि-आरोहें पेल्लियउ भीमु णिरारिउ समुहु थिउ । कुंभयले तलप्पए आहणेवि . मयगल्लु मासहो पुजु किउ ॥९॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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