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वीसमो संधि
८ रहु खडहडइ अद्ध थिउ वाहउ भडु सकेसु दप्पुब्भड-वाहउ जं जिवंतु दिट्ठउ वीसत्थउ धाइउ रक्खसु रुक्ख-विहत्थउ समर-रसुध्दुरु वतिय गच्छरु पं संचारिम-रूउ सणिच्छरु णाई कालु दुक्काले भक्विउ णं वइसाणरु धिएणभोक्खिउ मुक्कु महातरु मूलुच्छण्णाउ पत्तल-वहल-डाल-संकण्णउ तो अच्चवणु करेवि सुधीमें एंतउ भएहि पडिच्छिउ भीमें धित्त पडीवउ तहो जि उरत्थले वंचिउ अवरु रुक्खु किउ करयले णिसियर धिवइ पडिच्छइ पंडवु ताम जाम छाइउ रण-मंडबु
धत्ता तरु णिट्ठिय वीरु ण णिट्ठियउ सरहस सुहड समावडिय । गंधंध रुद्ध वण-हस्थि जिह भीम-णिसायर अभिडिय ॥१॥
वे-बि परोप्पर भिडिय णिउ. जयसिरि-रामालिंगय(? गण)-लुद्धे वावरंति कररुह-कर-चरणेहिं भूमि-करण-गयणंगण-करणेहिं विज्जाहर-जण-सयलुक्खित्तेहिं मंछुत्थल्लण-विज्जुक्खित्तेहि णहयल-लंघण-सीह-विलासेहिं गरुडुड्डाव-भुयंगुत्तासेहि आरहिं अवरोहि-मि विण्णासेहिं जुझिय अहिणव-करण-सहासेहि भमिउ भीमु मंदर-परिभमणे धरेवि ण सक्किउ पुर-विद्दवणे रिउ कम करेवि वाम-भुज-दंडए पुट्ठिहे जण्णु दिण्णु बलिवंडए भग्ग कोट्ट रोइय कांड-भायहो पुण्ण मणोरह वइवस-रायहो
धत्ता
अच्छोडिवि मोडिवि मंड किउ वि-उणउ ति-उणउ चउ-गुणउ । पट्टविउ जुहिट्ठिल-भायरेण वगउ हिडिंबहो पाहुणउ ॥९॥
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