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________________ वीसमो संधि [४] पभणइ अरुहयासु एत्यंतरे हउँ पइसरमि वगहो-मुह-कंदरे ... रक्खसु भक्खउ मासु महारउं माय-बप्पु कारणु वड्डारउ .......... माय-वप्पु जगे कासु ण वल्लहु माय-वप्पु देवाह-मि दुल्लहु . माय-वप्पु पहिलउ सुमरिजइ पच्छइ अवरु को-वि चितिज्जइ. ४ माय-वप्पु णिय-रूउ समप्पइ माय-वप्पु णउ कहि-मि विटप्पइ ... दइउ अवरु उवाउ ण झायइ माय-वप्पु होइवि उप्पायइ. .. अच्छउ माय-बप्पु जहिं जम्मणु तहिं पडिहाइ णाई किउ कम्मणु दाक्उि देहु जेहिं सारिक्वउ तहो उवयारहो को-वि ण णिक्खर ८ धत्ता पुत्तहो पुत्तत्तणु एत्तडउ जं कुले धवले धवलत्तणु करइ । णिवडिए अइ-दृत्तरे विहुर-भरे खंधु देवि अग्गए सरइ ॥९॥ णिय-कुडुवे संदेह-वल्लग्गए... जिणवइ-दुहिय परिट्ठिय अग्गए. जेम कुमारि तेम पर-भायण जणणि-जणेरहं करइ ण तायण : रक्खसु को-वि अवरु किं होसइ जो आइहई वणई अक्कोसइ(!) . तो वरि वग-रक्वसहो दिण्णी हउं इयर-वरहं माए णिविण्णी : १ जिवणह देउ म देउ अगायरु . जं रुच्चइ तं करउ णिसायरु तो एत्थंतरे पंडव-मायए वुत्तु विचित्तवीर-सुय-जायए. ...... रोवहि मार काई किं कारणु वुच्चइ णिसियर-णामुच्चारणु माणुसु महिसु वाहु चरु रहवरु अक्खु असेसु एउ णिय-वइयरु ८ घत्ता तो कोतिहे कहिउ सयपहए वगु णामेण णराहिवइ । .. जसु रउजे जग-त्तय-सिहरे जिह एक्क वि वाह ण संभवइ ॥५॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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