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हरिवंसपुराणु
'पहिलोरउ पुत्तु कालदमणु पट्ठविउ स-साहणु मण-गमणु अभिडिउ गपि सो जायवहुँ जिह वण-दउ अहिणव-पायवहुँ ८
घत्ता पहिलारए जुझे रण-रुउ कहि-मि ण माइयउं । णं बलई गिलेवि सुरहुं पडीवर धाइयई ॥
[३] . दोण्ह-वि व वलाई किय-कलयलाई वहु-मच्छराह
तुच्छराह मिलियामराई
सिय-चामराह धुय-धयवडाहं दप्पुब्भडाई वाहिय-रहाई
गुरु-विग्गहाहं सु-भयंकराई
पहरण-करा अभिट्टु जुज्झु कन्थ-वि णिरुज्झु कत्थ-वि गरेहि पहरिउ सरेहि कत्थ-वि गएहिं समुहागएहिं पेल्लिय परिंद
चूरिय फणिंद कत्थ-वि हएहिं
खग्गाहपहि णिउ सामिसाल थार्णतरालु कत्थ-वि सिवाए भडु लइउ पाए १२ सिरु णवेवि थाइ पिउ पियहे णाई भड भडेहिं परोप्परु ताम हय सत्तारह वासर जाम गय
घत्ता रणु करेवि रउद्द पर-वलु जिणेवि ण सक्कियउ । “गउ क्लेवि कुमारु हत्थि व सीहहो संकियच ॥ १६ ।
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