________________
[18] उठा लिया। इससे कृष्ण के सामर्थ्य के विषय में यशोदा निःशङ्क हो गई और कृष्ण को वापिस लौटा लिया।
मथरा वापिस आकर कंस ने शत्रु का पता लगाने के लिए ज्योतिषी के कहने पर ऐसी घोषणा कर दी कि जो मेरे पास रखी गई सिंहवाहिनी नागशय्या पर आरुढ हो सके, अजितञ्जय धनुष्य को चढा सके एवं पाञ्चजन्य शव को फंक सके उसको अपनी मनमानी चीज प्रदान की जाएगी। अनेक राजा ये कार्य सिद्ध करने में निष्फल हुए। एक बार जीवद्यशा का भाई भानु कृष्ण का बल देखकर उनको मथुरा ले गया और वहाँ कृष्ण ने तीनों पराक्रम सिद्ध किए ।' इससे कंस की शङ्का प्रबल हो गई । किन्तु बलराम ने शीघ्र ही कृष्ण को ब्रज भेज दिया।
कृष्ण का विनाश करने के लिए कंस ने गोप लोगों को आदेश दिया कि यमुना के हृद में से कमल लाकर भेंट करें। इस हद में भयंकर कालियनाग रहता था । कृष्ण ने हृद में प्रवेश करके कालिय का मर्दन किया और वह कमल लेकर बाहर आए ।२ जब कंस को कमल भेंट किए गए तब उसने नन्द के पुत्र के सहित सभी गोपकुमारों को मल्लयद्ध के लिए उपस्थित होने का आदेश दिया । अपने बहुत से मल्लों को उसने युद्ध के लिए तैयार कर रखा था ।
कंस का मलिन आशय जानकर वसुदेव ने भी मिलन के निमित्त से अपने नव भाइयों को मथुरा में बुला लिया । १. विच. के अनुसार जो शाझं यनुष्य चढा सके उसको अपनी बहिन सत्यभामा
देने की घोषणा कंस ने की । और इस कार्य के लिए कृष्ण को मथुरा ले
जाने वाला कृष्ण का ही सोतेलाभाई अनाधृष्टि था। २. विच. में कालियमर्दन का और कमल लाने का प्रसङ्ग कंस की मल्लयुद्ध
घोषणा के बाद आते हैं। त्रिच. के अनुसार कंस गोों को मल्लयुद्ध के लिए लाने का कोई आदेश नहीं भेजता है । उसने जो मल्लयुद्ध के उत्सव का प्रबंध किया था उसमें सम्मिलित होने के लिए कृष्ण और बलराम कौतुकवश स्वेच्छा से चलते है । जाने के पहले जब कृष्ण स्नान के लिए समना में प्रवेश करते है तब कंस का मित्र कालिय डसने को आता है। तब कृष्ण उसको नाथ कर उस पर आरूढ होकर उसे खूब घुमाते है और निर्जीव सा करके छोड़ देते हैं ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org