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________________ नवमो संधि तुर तुरंगमेण संघरइ णरवरु णरवरेण मुसुमूरइ जाणे जाणु विमाणु विमाणे सेल्लई महदुमेण पाहाणे जं करे लग्गु तेण तं पहरइ सहसु लक्खु कोडि-वि संघारइ संकरिसण-रण-चरित णिएप्पिणु वेणुदारि गउ पाण लएप्पिणु घचा पिहु-रुष्पि रणंगणे जेत्तहे तेतहे रोहिणेउ वलिउ । वल-कवले कालु ण धाईउ पुणु अण्णत्तहे णं चलिउ ॥ ९ [१३] रुप्पिणि भायरेण पिहु जिज्जई जीव-गाहु किर जावं लइज्जइ तहि अबसरे वलेण हक्कारिउ रहवरु रहवरेण मुसुभूरिउ राम-रुटिप रहसेण रणंगणे उत्थरंति धण णाई णहंगणे विसहर-विसम-समेहिं सर-जालेहिं खय-दिण-दिणमणि-किरण-करालेहिं ४ तो तालद्धएण धउ खंडिउ विरहु णिरत्थु करेवि रिउ छंडिउ उम्मुएण दुमराउ णिवारिउ दिण्ण पुट्टि गउ कह-वि ण मारि उत्तमोज्जु सिणि-सुयहो पभज्जिउ सच्चइ-वप् सल्लु परजिउ चेइ-णराहिउ तात्रं पधाइउ णारायणु णाराएहिं छाइउ घत्ता सिसुपाल-लोय-परिपालहं कर-चरणंगोलग्गणा । जिह देतह तिह जुझंतहं जंति अलक्खण मग्गणा ॥ ९ [१४] कयं णवर संजुयं सिय-सरासणी-संजुयं खर-प्पहार-दारुणं णव-पवाल-कंदारुणं समुच्छलिय-लोहियं सुर-विलासिणी-लोहियं पणच्चषिय-रुंडयं भमिय-भूरि-भेरुंडयं ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001426
Book TitleRitthnemichariyam Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages144
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size7 MB
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