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अहमो संधि रहु देज्जहि पहरण-भरिय-गतु गारुड-धउ चामरु सेय-छत्तु . सिक्खविउ सुरिवें जाइ जे व अवराई-मि ताइ-मि कियई तेवं ।
धत्ता सव्वहुं पासिउ सकाएसे सउरी-पुरवरु रइउ विसेसे। जहिं तइलोयहो मंगल-गारउ उपजजेसइ णेमि-भडारस
॥९
ताम
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[३] पइसारिउ पुरे केसउ स-बंधु अहिसिंचिउ पुणु किउ पट्ट-बंधु गठ धणउ सुरिंदहो पासु जाम . सिवएवि-गम्भे सोहणहि ताम आयन सत्तारह देवयाउ दस-मय-परिवारिय-अवयवोउ दस-दिस-देवयउ स-वाहणाउ विविहद्धय-विविद-पसाहणार उक्खय-दप्पहरण-पहरणाउ सिय-चामर-आयव-धारणाउ विजुल-कुमारि वर बुद्धि कित्ति जयलच्छि लज्ज सिरि-परम तत्ति . सव्वउ सव्वालंकारियाउ मंजोर-राव-झकारियाउ भिवएविहे पासु पदुकियाउ णिय-णिय-विण्ण उ चुक्कियाउ ८
घत्ता चंदकंत-पह-धवलिय-यामेि जामिणि-जामहं पच्छिम-जामे । पन्कोवरि णिह-गयाए सोलह सिविणा विठ सिवाए ॥ ९ ।
[४] गउ गोवइ हरि सिरि-दाम-जुयलु मयलंछणु दिण-मणि मीण-जमलु स-कलसु कमलोयरु कमल-थाणु सोयरु सीहासणु सुर-विमाणु अहि-हेलणु मणि-गणु जलण-जालु दिवस-मुहे दसारुह-सामिसालु वोल्लाविउ सुविणउं कहिउ तासु पाडिक्क-सयल-मंगल-णिवासु सुणु णाह णिहालिउ पढमु हत्थि पडिवियु जासु जगे को-वि णत्थि सुह-लक्खणु भद्दु चउव्विसाणु मय-सित्त-गत्तु जुत्त-प्पमाणु
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