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आपको एवं संघ को डट कर लोहा लेना पड़ा। एक ओर ब्राह्मणवाद का जोर था, जो थोथे कर्मकांडों और मूक पशुओं को मौत के घाट उतार कर यज्ञ के नाम पर उनकी बलि देने के बल पर प्रतिष्ठित था। वह अपनी उच्चता और श्रेष्ठता का मिथ्याभिमान जन्मना जातिवाद के नाम पर चला रहा था। धर्मकर्म के क्षेत्र में स्त्रियों और शूद्रों का अधिकार छीन रखा था। उन्हें शास्त्र - श्रवण और धर्माचरण से वंचित कर रखा था। मानव अपने मानव भगिनीबन्धुओं को भेड़-बकरी की तरह सरेआम गुलाम बना कर क्रय-विक्रय कर रहा था। समाज में गुलामों को विकास के मामलों में कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं था। ___ समाज और राष्ट्र में पनपती हुई इन और ऐसी ही कुरूढियों और धर्मक्षेत्र में प्रचलित ऐसी कुप्रथाओं का भगवान् महावीर ने और उनके श्रमण-श्रमणीवर्ग ने पूरी शक्ति लगा कर उन्मलन किया। ... उन्होंने जातिवाद का समूलोच्छेदन कर अपने संघ में, धर्म-सभा में, धर्म-साधना के क्षेत्र में सबको सर्वत्र समान स्थान दिया । नारीजाति को पुरुष के बराबर अपने संघ में सभी अधिकार दिये। समाज में मातजाति का सम्मान बढ़ाया, उसमें नारीत्व जगाया। शूद्र कहलाने वाले सभी प्रकार के लोगों को उन्होंने
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