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पुस्तक की परिक्रमा
'महावीर : सिद्धान्त और उपदेश' राष्ट्रसंत कविरत्न उपाध्याय श्री अमरमुनिजी म० की अनठी कृति है। आपने भगवान् महावीर के जीवन को शास्त्रों की कसौटी पर कस कर और अनुभव की आँच में तपा कर लिखा है। कविश्रीजी महाराज जैन - समाज के ही नहीं, भारत के लब्धप्रतिष्ठ क्रान्तदर्शी कथाशिल्पी हैं। आपकी भाषा प्राञ्जल है, भावों में प्रवाह है। आपके साहित्य की यह विशेषता है कि पाठक को पढ़ते हुए कहीं बेचनी नहीं होती। आपका भगवान् महावीर पर विशाल चिन्तनमनन है। प्रस्तुत पुस्तक को आपने तीन विभागों में बाँटा है-- _महावीर की जीवन-रेखाएँ
महावीर के सिद्धान्त
महावीर के उपदेश १. महावीर की जीवन - रेखाएँ-इस विभाग में आध्यात्मिक एवं सामाजिक क्रान्ति के प्रकाश-स्तम्भ महावीर का जीवन-गृहस्थ - जीवन, साधक-जीवन और तीर्थकर - जीवन के रूप में कविश्रीजी ने अलग
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