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१४६ : महावीर : सिद्धान्त और उपदेश
समता:
समयाए समणो होइ ।
___ - उत्तराध्ययन
समयाए धम्मे आरिएहिं पवेइए ।
- आचासंग
सामाइयमाहु तस्स जं, जो अप्पाण भए ण दंसए।
सव्वं जगं तू समयाणुपेही, पियमप्पियं कस्स वि नो करेज्जा
-- सूत्रकृतांग
जो उवसमइ अत्थि तस्स आराहणा। जो ण उवसमइ तस्स नत्थि आराहणा। "उवसमसारं खु सामण्णं ।
-- बृहत्कल्पसूत्र
जो समो सब्वभुएसु तसेसु थावरेसु य तस्स सामाइयं होई
---- आवश्यकसूत्र
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