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[ १२ ] विशेषता क्या और कितनी है, इस विषय की अन्य पुस्तकों में और इसमें, यह पाठकों के निर्णय करने की चीज है।
भगवान् महावीर के २५०० वें निर्वाणवर्ष के उपलक्ष्य में पुस्तक का यह तीसरा संस्करण प्रकाशित हो रहा है। इसमें कुछ संशोधन-परिबर्द्धन किये गए हैं। पुस्तक की लोकप्रियता का प्रमाण यही है कि इसका द्वितीय संस्करण बहुत शीघ्र पाठकों ने अपना लिया।
नयनाभिराम गेट - अप आदि के अलंकृत पॉकेट साइज की पुस्तकों की मांग आज की खास और आम मांग है। इस मांग की पूर्ति, सीमित साधनों के होते हए भी पर्याप्त अंशों में की गई है।
कागजों एवं छपाई की भीषण वढ़ती कीमत होने पर भी भगवान् महावीर की भक्ति और पाठकों के अनुरोध से प्रेरित हो कर हम तृतीय संस्करण प्रकाशित कर रह हैं।
आशा है, उदारमना पाठक इस पुस्तक को भगवान् महावीर के प्रति श्रद्धा - भक्तिवश पढ़ेंगे और उनके बताए हुए सिद्धान्तों और उपदेशों को अपने जीवन में उतारेंगे। बस, ये ही दो शब्द आपसे कहने हैं।
मन्त्री ओमप्रकाश जम
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