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महावीर ने अपने तथा संघ के जीवन में चरितार्थ कर दिया था। महावीर के उन्हीं सिद्धान्तों का अनूठी शैली में अंकन कविश्रीजी ने किया है।
३. महावीर के उपदेश-इस विभाग में भगवान् महावीर के कुछ उपदेशों का सूत्ररूप में संकलन किया गया है। प्रत्येक सूत्र के सामने उसका अर्थ भी हिन्दी भाषा में दिया गया है। आत्मा, कर्मवाद, अहिंसा सत्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, समता आदि विषयों पर महावीर के उपदेशों का संकलन है। वस्तुतः ये उपदेश तत्कालीन मानव-समाज को शान्ति और तृप्ति प्रदान करते थे, उनके अज्ञानान्धकार को मिटाते थे। आज भी ये उपदेश प्रकाश का काम करते हैं। मानवसमाज की सामाजिक, राष्ट्रिय, धार्मिक आदि समस्याओं को हल करने की प्रेरणा आज भी इन उपवेशों से मिलती है। उपदेशों का संकलन भी बहुत सुन्दर ढंग से हुआ है।
कुल मिला कर प्रस्तुत पुस्तक मानव - जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए प्रेरणाप्रद और महावीर के जीवन को समग्र पहलुओं से समझने के लिए अतिउपयोगी है। कविश्रीजी पुस्तक लेखन में सफल हुए हैं उनका श्रम सार्थक हुआ है। पाठक इसे अपनायें
और हृदयगम करें। जैनभवन, लोहामण्डी आगरा २५-६-७४ ।
-मुनि नेमिचन्द्र
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