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ऋषभदेव-स्तोत्र
आदिजिनं वन्दे गुण - सदनं, सदनन्तामल - बोधं रे।
बोधकता - गुणविस्तृत कीर्ति , । कीर्तित - पथमविरोधं रे॥
रोधरहित --- विस्फुरदुपयोगं , योगं दधतमभंगं रे। भंगं नय - व्रज - पेशलवाचं वाचंयम - मुख - संगं रे ॥
संगतपद - शुचिवचनतरंगं, रंगं जगति ददानं रे। दान - सुरद्र म - मंजुल • हृदयं , हृदयंगम - गुण - भानं रे॥
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