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भक्तामर स्तोत्र
चउव्वीसत्थएणं भन्ते ! जीवे कि जणयइ ? चउव्वीसत्थएणं दंसण विसोहिं जणयइ ।
- उत्तराध्ययन सूत्र, २६. १०
—भन्ते ! चतुर्विंशति - स्तव से जीव को क्या प्राप्त होता है ? चतुर्विशति - स्तव से–चौबीस तीर्थंकरों की स्तुति से, - जीव दर्शन - विशुद्धि को प्राप्त होता है।
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