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________________ वोर-स्तुति अगत्तरं धम्ममिणं जिणाणं, नेया मुणी कासव आसुपन्ने । इंदे व देवाण महागाभावे, सहस्स नेता दित्रि णं विसिट्ठे ।।७।। ऋषभादि जिन-वर्णित अतुल शिव-धर्म के नेता महा। मुनिनाथ, काश्यप-वंश-दीपक, दिव्य-ज्ञानी थे अहा ।। सुरलोक में सुर-वन्द में प्रभु शक्र शोभित है यथा । मनि-वन्द में अति श्रेष्ठ नायक वीर शोभित थे तथा ॥७॥ श्री ऋषभ जिन आदि-चालित श्रेष्ठ धर्म विधान के, नेता, मनन-कर्ता, महासगर अलौकिक ज्ञान के। गोत्र से काश्यप, अतीव प्रभावशाली इन्द्र-सम, देव-गण के पूज्य नेता वीर थे उत्कृष्ट-तम ॥७॥ भगवान महावीर ने श्री ऋषभ आदि पूर्व तीर्थ करों के द्वारा प्रचारित अहिंसा धर्म का पुनरुद्धार किया था। वे मननशील विलक्षण ज्ञानी थे । स्वर्ग लोक में जिस प्रकार इन्द्र असंख्य देवों पर नेतृत्व करता है, उसी प्रकार वीर प्रभु भी अपने युग के एक मात्र सर्व-प्रधान धर्म के नेता थे। अथवा धर्म-साधना करने वाले साधकों के पथ-प्रदर्शक नेता थे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001420
Book TitleVeerstuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1981
Total Pages58
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & agam_related_other_literature
File Size2 MB
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