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गा० २६ ]
णाणाजीवेहि कालो असंखे भागो।
१३८. देवेसु मिच्छ० संकाम० लोयस्स असंखे भागो अट्ठ चोदस० देसूणा । सेसपयडीणं संकाम० दंसणतियअसंकाम० लोग० असंखे०भागो अट्ठ णव चोद्द० देसूणा । अणंताणु०४असंका० लोग० असंखे भागो अट्ठ चोदस० देसूणा। एवं भवण०वाणवेंतर-जोइसिएसु । णवरि सगपोसणं कायव्वं ।
$ १३९. सोहम्मीसाण. देवोघं । सणक्कुमारादि जाव सहस्सार त्ति अट्ठावीसंपयडीणं संकाम० दंसणतिय-अणंताणु०४असंका० लोयस्स असंखे०भागो अट्ठ चोद्द० देसूणा । आणदादि जाव अचुदा त्ति अट्ठावीसं पयडीणं संकाम० दंसणतिय-अणंताणु०४ असंकाम० लोग० असंखे०भागो छ चोदस० देसूणा । उवरि खेत्तभंगो। एवं जाव० ।
णाणाजीवेहि कालो। १४०. सुगममेदमहियारसंभालणसुत्तं । 8 सव्वकम्माणं संकामया केवचिरं कालादो होति ?
$ १४१. एदं पि सुत्तं सुगमं । भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है ।
5 १३८. देवोंमें मिथ्यात्वके संक्रामकोंने लोकके असंख्यातवें भाग और त्रसनालीके चौदह भागों से कुछ कम आठ भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। शेष प्रकृतियोंके संक्रामकोंने और तीन दर्शनमोहनीयके असंक्रामकोंने लोकके असंख्यातवें भाग और सना जीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम आठ तथा कुछ कम नौ भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। अनन्तानुबन्धीचतुष्कके असंक्रामकोंने लोकके असंख्यातवें भाग और त्रसनालीके चौदह भागों से कुछ कम आठ भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। इसी प्रकार भवनवासी, व्यन्तर और ज्योतिषो देवोंमें जानना चाहिये । किन्तु इतनी विशेषता है कि अपना अपना स्पर्श कहना चाहिये ।
१३६. सौधर्म और ऐशान कल्पमें सामान्य देवोंके समान स्पर्श है। सनत्कुमारसे लेकर सहस्त्रार कल्प तकके देवोंमें अट्ठाईस प्रकृतियोंके संक्रामकोंने तथा तीन दर्शनमोहनीय और अनन्तानुबन्धीचतुष्कके असंक्रामकोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और वसनालीके चौदह भागों मेंसे कुछ कम आठ भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। अानतसे लेकर अच्युत कल्प तकके देवोंमें श्रद्वाईस प्रक्रतियोंके संक्रामकोंने तथा तीन दर्शनमोहनीय और अनन्तानुबन्धी चतुष्कके असंक्रामकोंने लोकके असंख्यातवें भाग और सनालीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम छह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। अच्युत स्वर्गसे ऊपर स्पर्श क्षेत्रके समान है। इसी प्रकार अनाहारकों तक जानना चाहिये ।
* अब नाना जीवोंकी अपेक्षा कालका अधिकार है। $ १४०. यह सूत्र सुगम है, क्यों कि इस द्वारा केवल अधिकारकी सम्हाल की गई है। * सब कर्मोंके संक्रामक जीवोंका कितना काल है। $ १४१. यह सूत्र भी सुगम है। १. ता० प्रतौ होइ इति पाठः ।
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