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________________ पृष्ठ विषय पृष्ठ । विषय भुजगार स्थितिसंक्रम ओघ जघन्य स्थितिसंक्रम स्वामित्व ३६५ भुजगारसंक्रम ३५६ ओघादेश उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम स्वामित्व ३६७ अर्थपद ३६० ओघादेश जघन्य स्थितिसंक्रम स्वामित्व ३६६ भुजगार आदि पदोंका अर्थ ३६० अल्पबहुत्व ४०० इस विषयमें तेरह अनुयोगद्वारोंकी सूचना ३६० वृद्धि स्थितिसंक्रम समुत्कीर्तना ३६० स्वामित्व ३६० उसमें तीन अनुयोगद्वार ४०१ एक जीवकी अपेक्षा काल ३६२ वृद्धिका स्वरूप ४०२ एक जीवकी अपेक्षा अन्तर ३७२ अनुयोगद्वारोंके नाम और उनका स्वरूप ४०२ नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचय ३७६ ) ओघसमुत्कीर्तना ४०५ भागाभाग ३७८ आदेशसमुत्कीर्तना ४०६ परिमाण ३७८ प्ररूपणा. ४१० क्षेत्र और स्पर्शन एक जीवकी अपेक्षा काल ४११ नाना जीवोंकी अपेक्षा काल ३७६ एक जीवकी अपेक्षा अन्तर ४१४ नाना जीवों की अपेक्षा अन्तर नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचय ४१५ भाव ३८४ भागाभाग अल्पबहुत्व परिमाण ४१६ पदनिक्षेप स्थितिसंक्रम क्षेत्र ४१७ उसमें तीन अनुयोगद्वार ४१८ समुत्कीर्तना ३८८ | नानाजीवोंकी अपेक्षा काल ४१८ उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम समुत्कीर्तना ३८८ नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर जघन्य स्थितिसंक्रम समुत्कीर्तना ३८८ ४२० स्वामित्व ३८६ | अल्पबहुत्व ४२० ओघ उत्कृष्ट स्थितिसक्रम स्वामित्व ३८९ स्थितिसंक्रमस्थान ४२८ WWWWW ४१६ ३८४ ३८८ । स्पर्शन U mr mmm US VS भाव AKA+ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001414
Book TitleKasaypahudam Part 08
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages442
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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