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________________ विषय अल्पबहुत्व के दो भेद स्थितिसंक्रम अल्पबहुत्त्र के दो भेद उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम अल्पबहुत्व जघन्य स्थितिसंक्रम अल्पबहुत्व जीव अल्पबहुत्वके दो भेद उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम जीव अल्पबहुत्व जघन्य स्थितिसंक्रम जीव अल्पबहुत्व भुजगारस्थितिसंक्रम भुजगार के तेरह अनुयोगद्वारों की सूचना समुत्कीर्तना स्वामित्व एक जीवकी अपेक्षा काल एक जीवकी अपेक्षा अन्तर नाना जीवों की अपेक्षा भंगविचय भागाभाग परिमाण क्षेत्र - स्पर्शन नाना जीवोंकी अपेक्षा काल नाना जीवों की अपेक्षा अन्तर भाव अल्पबहुत्व पदनिक्षेप स्थितिसंक्रम पदनिक्षेपके तीन अनुयोगद्वारोंकी सूचना समुत्कीर्तना स्वामित्व के दो भेद उत्कृष्ट जघन्य अल्पबहुत्व वृद्धि स्थितिसंक्रम वृद्धिके तेरह अनुयोगद्वारों की सूचना समुत्कीर्तना स्वामित्व एक जीवकी अपेक्षा काल एक जीवकी अपेक्षा अन्तर नाना जीवोंको अपेक्षा भंगविचयसे Jain Education International ( * ) पृष्ठ विषय २८८ अल्पबहुत्व २८८ २८८ २८६ २८६ २८९ २६० २६० २६० २६.१ २६१ २६५ २६५ २९७ २६७ २७ २६७ २९७ २६७ २६७ २६८ २९८ २९८ २६८ २६६ २६६ स्थानप्ररूपणा लेकर भाव तकके अनुयोगद्वारोंको स्थितिविभक्तिके समान जाननेकी सूचना उत्तरप्रकृतिस्थितिसंक्रम उसके विषय में २४ अनुयोगद्वारोंकी व भुजगारादिककी सूचना अद्धाच्छेदके दो भेद उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम श्रद्धाच्छेद जघन्य स्थितिसंक्रम अद्धाच्छेद सर्वादि अनुयोगद्वारोंको स्थितिविभक्तिके समान जानने की सूचना स्वामित्व उत्कृष्ट स्थिति संक्रमस्वामित्व जघन्य स्थितिसंक्रम स्वामित्व एक जीव की अपेक्षा काल उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम काल जघन्य स्थितिसंक्रम काल एक जीवकी अपेक्षा अन्तर उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम अन्तर जघन्य स्थितिसंक्रम अन्तर नाना जीवों की अपेक्षा भंगविचय उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम भंगविचय जघन्य स्थितिसंक्रम भंगविचय भागाभाग आदिको स्थितिविभक्तिके समान जानने की सूचना नाना जीवों की अपेक्षा काल उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम काल जघन्य स्थितिसंक्रम काल नाना जीवों की अपेक्षा अन्तर उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम अन्तर जघन्य स्थितिसंक्रम अन्तर २६६ २६६ | सन्निकर्ष २६६ उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम सन्निकर्ष जघन्य स्थितिसंक्रम सन्निकर्ष ३०० ३०२ | भाव अल्पबहुत्व उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम अल्पबहुत्व ३०३ | जघन्य स्थितिसंक्रम अल्पबहुत्व For Private & Personal Use Only पृष्ठ ३०३ ३०३ ३०४ ३०४ ३०४ ३०५ ३१० ३११ ३११ ३१२ ३२३ ३२३ ३२६ ३३२ - ३३२ ३३३ ३३६ ३३६ ३३७ ३३ ३३८ ३३८ ३३६ ३४१ ३४१ ३४१ ३४२ ३४२ ३४३ ३४६ ३४६ ३४६ ३४८ www.jainelibrary.org
SR No.001414
Book TitleKasaypahudam Part 08
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages442
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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