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गी० २२ ]
उत्तरपयडिपदेसविहत्तीए पदणिक्खेवे सामित्तं
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मायं लोभे संपक्खिवदि तस्स उक्क० हाणी | लोभसंज० उक० बड़ी कस्स ! तस्लेव कायव्वा, विसेसाभावादो । अवद्वाणं मिच्छत्तभंगो । हाणी उक्क० कस्स १ तस्स चैत्र मुहुमसांपराइयस्स चरिमसमए वट्टमाणगस्स । इत्थिवेद० उक्क० बड़ी कस ? जो खविदकम्मं सिओ अंतोमुहुत्तेण कम्मं खवेहिदि त्ति विवरीदं गंतू मिच्छत्तं गदो इत्थवेद० पबद्धो तदो उक्कस्सजोगमुक्कस्सगं च संकिलेसं गदो तस्स उक्क० वड्डी । हाणी कस्स ? अण्णदरस्स गुणिदकम्मंसिओ खवणाए अब्भुडिदो तेण जाधे अपच्छिमहिदिखंडयं उदयवज्जं संकुब्भमाणगं संक्रुद्धं ताधे उक्क० हाणी | एवं णवुंसय० । पुरिस० उक्क० बड़ी कस्स १ अण्णद० गुणिद० णवुंसयवेदोदयक्खवगस्स जाधे इत्थि-णं संयवेदा पुरिसवेदम्हि संपक्खित्ती ताधे उक वड्डी । एवमोघसामित्तं पि णायव्वं । उक्क०
वाणं कस्स ? अण्णद० असंजदसम्मादिहिस्स अवद्विदपाओग्गसंतकम्मियस्स उस्सजोगिस्स उक्कस्सियाए वडीए वड्डियूणावद्विदस्स | उक्क० हाणी कस्स ? अण्णद • गुजिदकम्मं सि० पुरिसवेदचिराणसंतकम्मं जाधे कोधम्मि संपक्खित्तं ताधे तस्स उक्क० हाणी । छण्णोकसायाणमुक्क० वड्डी कस्स १ अण्णद० गुणिदकम्मं सियस्स खत्रणाए अदिस अपुव्त्रकरणचरिमसमए उक्कस्सगुणसंकमेण सह उक्कस्साजोगं
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होती है ? जो मायाका उत्कृष्ट सत्कर्मवाला जीव जब मायाको लोभमें निक्षित करेगा तब उसके मायाकी उत्कृष्ट हानि होती हैं । लोभसंज्वलनकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? उसी जीवके करनी चाहिए, क्योंकि कोई विशेषता नहीं है । इसके अवस्थानका भङ्ग मिध्यात्व के समान है । इसकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? वही सूक्ष्मसाम्पराय जीव जब अन्तिम समयमें विद्यमान होता है तब उसके लोभकी उत्कृष्ट हानि होती है । स्त्रीवेदकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? जो क्षपितकर्माशिक जीव अन्तर्मुहूर्तके द्वारा कर्मका तय करेगा किन्तु विपरीत जाकर मिध्यात्वको प्राप्त हो स्त्रीवेदका बन्धकर अनन्तर जिसने उत्कृष्ट योग और उत्कृष्ट संक्लेशको प्राप्त किया उसके स्त्रीवेदकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है । इसकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? जो अन्यतर गुणितकर्माशिक जीव क्षपण के लिए उद्यत हुआ । उसने जब उदयको छोड़कर अन्तिम स्थितिकाण्डका संक्रमण करते हुए संक्रमण किया तब उसके स्त्रीवेदकी उत्कृष्ट हानि होती है । इसीप्रकार नपुंसक - वेदका स्वामी जानना चाहिए । पुरुषवेदकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? जो अन्यतर गुणितकर्माशिक जीव नपुंसकवेद के उदयके साथ क्षपक है वह जब स्त्रीवेद और नपुंसक वेदको पुरुषवेद में
क्षिप्त करता है तब उसके पुरुषवेदकी उत्कृष्ट वृद्धि होती हैं । इसीप्रकार ओघ स्वामित्व भी जानना चाहिए। इसका उत्कृष्ट अवस्थान किसके होता है ? जो अन्यतर असंयतसम्यग्दृष्टि जीव अवस्थितप्रायोग्य सत्कर्मवाला है, उत्कृष्ट योगसे युक्त है और उत्कृष्ट वृद्धिसे वृद्धिको प्राप्त हो अवस्थित है उसके इसका उत्कृष्ट अवस्थान होता है । इसकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? जिस अन्तरगुणितकर्माशिक जीवने पुरुषवेदके पुराने सत्कर्मको जब क्रोधमें प्रक्षिप्त किया तब उसके इसकी उत्कृष्ट हानि होती है। छह नोकषायोंकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? जो अन्यतर गुणितकर्माशिक जीव क्षपणा के लिए उद्यत हो अपूर्वकरण के अन्तिम समयमें उत्कृष्ट
१. प्रतौ 'संपखितो (सा)', प्र०प्रतौ 'संपविखतो' इति पाठः ।
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