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गा० २२] उत्तरपयडिपदेसविहत्तीए अप्पाबहुअपरूवणा विसेसमासेज्ज विसेसाहियत्तं ण विरुज्झदे, ढुक्कमाणकाले चेय तहाभाषेण परिणामदसणादो।
8 इत्थिवेदे उक्कस्सपदेससंतकम्मं संखेज्जगुण ।
$ १६७. कुरवेसु हस्स-रदिबंधगदादो संखेज्जगुणसगबंधगदाए इत्यिवेदं पूरेऊण दसवस्ससहस्साउअदेवेसु थोवयरदव्यमहिदीए गालेयूण एइंदिएसुप्पण्णपढमसमयमहियहियजीवम्मि तस्स तदो संखेज्जगुणत्तुवलंभादो।
ॐ सोगे उक्कस्सपदे ससतकम्म विसेसाहिय ।
$ १६८. सुगममेदं, ओघपरूविदबंधगदाविसेसवसेण संखे०भागन्भहियत्तुवलंभादो।
* अरदीए उक्कस्सपदेससंतकम्म विसेसाहिय। $ १६६. सुगम, पयडिविसेसस्स असई परूविदत्तादो।
* णवुसयवेदे उक्कस्सपदेसस तकम्मं विसेसाहियं ।
६२००. कुदो ईसाणदेवाणमरदि-सोगबंधगदादो विसेसाहियतत्थतणतसथावरबंधगद्धासंबंधिणqसयवेदबंधकाले संचिदत्तादो । कारण इसका विशेष अधिक होना विरोधको प्राप्त नहीं होता, क्योंकि इस प्रकृतिरूप बन्ध होते समय या संक्रमण होते समय ही इस प्रकारका परिणमन देखा जाता है।
* उससे स्त्रीवेदमें उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म संख्यातगुणा है ।
६ १६७. क्योंकि जो जीव देवकुरु और उत्तरकुरुमें हास्य और रतिके बन्धक कालसे संख्यातगुणे अपने बन्धक कालके भीतर स्त्रीवेदको पूरकर अनन्तर दस हजार वर्षकी आयुवाले देवोंमें अधःस्थितिगलनाके द्वारा अत्यन्त स्तोक द्रव्यको गला कर एकेन्द्रियोंमें उत्पन्न होता है उसके वहाँ उत्पन्न होनेके प्रथम समयमें स्थित रहते हुए स्त्रीवेदमें रतिके द्रव्यसे संख्यातगुणा द्रव्य पाया जाता है।
* उससे शोकमें उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है ।
६ १६८. यह सूत्र सुगम है, क्योंकि श्रोधमें कहे गये बन्धक काल विशेषके वशसे शोकमें संख्यातवाँ भाग अधिक द्रव्य उपलब्ध होता है।
ॐ उससे अरतिमें उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है।
$ १६६. यह सूत्र सुगम है, क्योंकि प्रकृतिविशेषरूप कारणका अनेक बार कथन कर आये हैं।
* उससे नपुंसकवेदमें उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है।
६२००. क्योंकि ईशान कल्पके देवोंमें अरति और शोकके बन्धक कालसे वहाँ के त्रस और स्थावरके बन्धककालसम्बन्धी विशेष अधिक कालमें नपुंसकवेदका सञ्जय होता है।
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