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________________ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पदेसविहत्ती ५ * कोधे उक्कस्सपदेससंतकम्मं विसेसाहियं । ३ १२८. सुगमं । * मायाए उकस्सपदेससंतकम्मं विसेसाहियं । $ १२६. सुगम । * लोभस्स उक्कस्सपदेससंतकम्मं विसेसाहियं । १३०. सुगम । * अणंताणुबंधिमाणे उक्कस्सपदेससंतकम्म विसेसाहियं । $ १३१. सुगमं । * कोधे उकस्सपदेससंतकम्मं विसेसाहियं । १३२. सुगम । ॐ मायाए उकस्सपदेससंतकम्म विसेसाहियं । १३३. सुगमं । 8 लोभे उक्कस्सपदेससंतकम्मं विसेसाहिय । १३४. सुगमं । * सम्मामिच्छत्ते उक्कस्सपदेससंतकम्मं विसेसाहिय । ॐ उससे प्रत्याख्यान क्रोधमें उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है । $ १२८. यह सूत्र सुगम है। * उससे प्रत्याख्यान मायामें उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है । ६ १२६. यह सूत्र सुगम है। * उससे प्रत्याख्यान लोभका उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है । ६ १३०. यह सूत्र सुगम है। उससे अनन्तानुबन्धी मानमें उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है। ६१३१. यह सूत्र सुगम है। * उससे अनन्तानुबन्धी क्रोधमें उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है । ६१३२. यह सूत्र सुगम है। ® उससे अनन्तानुबन्धी मायामें उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है । ६१३३. यह सूत्र सुगम है। * उससे अनन्तानुबन्धी लोभमें उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है । १३४. यह सूत्र सुगम है।। * उससे सम्यग्मिथ्यात्वमें उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001413
Book TitleKasaypahudam Part 07
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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