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जयधवलासहिदे
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[अणुभागविहत्ती ४ १०७. कायाणुवादेण पुढवि० उक्कस्साणुभाग० के० खेत्तं पोसिदं ? लोग० असंखे०भागो सव्वलोगो वा । अणुक० सव्वलोगो। एवं सुहुमपुढवि-सुहुमपुढविपज्जत्तापज्जत्त-आउ०-सुहुमआउ०--सुहुमआउपज्जत्तापज्जत्त--तेउ०--मुहुमतेउ०--मुहुमतेउपज्जत्तापज्जत्त--वाउ०--सुहुमवाउ०-सुहुमवाउपज्जत्तापज्जत्ता ति । बादरपुढवि०बादर-पुढविअपज्ज० मोह० उक्कस्साणुभाग० के० खेत्तं पोसिदं ? लोग० असंखे०भागो तेरहचोदसभागा वा देरणा पोसिदा । अणुक० लोग० असंखे०भागो सव्वलोगो वा । एवं बादरपुढविपज्जत्ताणं । बादराउ.--बादरभाउपज्जत्तापज्जत्ताणं उक्कस्साणुभाग० के० खेत्तं पोसिदं ? लोग० असंखे० भागो सव्वलोगो वा । एवमणुकस्साणुभागस्स वि वत्तव्वं । बादरतेउ-बादरतेउअपज्जत्ताणं बादरपुढविभंगो । बादरतेउपज्ज० उक्कस्साणुभाग० के० खेत्तं पोसिदं ? लोग० असंखे भागो। सव्वपुढवीसु अत्थित्तं भणंताणं अहिप्पाएण तेरहचोदसभागा । बादरवाउ-बादरवाड़अपज्ज० बादरआउभंगो । बादरवाउ०पज्ज० उक्क० के० खे० पो० ? लोग० असंखेभागो सव्वलोगो वा । अणुक्क० लोगस्स संखे०भागो सव्वलोगो वा। सव्ववणप्फदिअनुभागके बन्धक जीवोंका यह स्पर्शन उत्कृष्टके समान ही घटित कर लेना चाहिये।
१०७. कायकी अपेक्षा उत्कृष्ट अनुभागविभक्तिवाले पृथिवीकायिक जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? लोकके असंख्यातवें भागका और सर्व लोकका स्पर्शन किया है। अनुत्कृष्ट अनुभागविभक्तिवालोंने सब लोकका स्पर्शन किया है। इसी प्रकार सूक्ष्म पृथिवीकायिक, सूक्ष्म पृथिवीकायिकपर्याप्त, सूक्ष्म पृथिवीकायिकअपर्याप्त, अप्कायिक, सूक्ष्म अकायिक, सूक्ष्म अप्कायिकपर्याप्त, सूक्ष्म अप्कायिकअपर्याप्त,तैजसकायिक,सूक्ष्म तैजसकायिक, सूक्ष्म तैजसकायिक पर्याप्त, सूक्ष्म तैजसकायिक अपर्याप्त, वायुकायिक, सूक्ष्म वायुकायिक, सूक्ष्म वायुकायिक पर्याप्त
और सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्तकोंमें जानना चाहिए । मोहनीयकर्मकी उत्कृष्ट अनुभागविभक्तिवाले बादर पृथिवीकायिक और बादर पृथिवीकायिक अपर्याप्तकोंने कितने क्षेत्रका स्पशन किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग क्षेत्रका और चौदह भागोंमेंसे कुछ कम तेरह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। अनुत्कृष्ट अनुभागविभक्तिवालोंने लोकके असंख्यातवें भाग और सब लोकका स्पर्शन किया है। इसी प्रकार बादर पृथिवीकायिक पर्याप्तकोंमें जानना चाहिए। उत्कृष्ट अनुभागविभक्तिवाले बादर अप्कायिक और बादर अप्कायिक पयाप्तक तथा बादर अप्कायिक अपर्याप्तकोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग और सब लोकका स्पर्शन किया है। इसी प्रकार अनुत्कृष्ट अनुभागविभक्तिवालोंका भी स्पर्शन कहना चाहिये। बादर तैजसकायिक और बादर तैजसकायिक अपर्याप्तकोंमे बादर पृथिवीकायिकोंके समान भंग है। उत्कृष्ट अनुभागविभक्तिवाले बादर तैजस्कायिक पर्याप्तकोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग क्षेत्रका स्पर्शन किया है। जो सब पृथिवियोंमे उनका अस्तित्व मानते हैं उनके मतसे चौदह भागों मेंसे तेरह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। बादर वायुकाय और बादर वायुकाय अपर्याप्तकों में बादर अप्कायके समान भंग है । उत्कृष्ट अनुभागविभक्तिवाले बादर वायुकायिक पर्याप्तकोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? लोकके असंख्यातवें भागका और सर्व लोकका स्पर्शन किया है। अनुत्कृष्ट अनुभागविभक्तिवालोंने लोकके संख्यातवें भाग और सब लोकका
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