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________________ गा० २२] अणुभागविहत्तीए हारणपरूवणा ३५९ णववग्गणविसेमणदिवडगुणहाणिमेत वग्गणविसेसाणमभावादो। तेण सादिरेयदुरूवाहियदिवट्टगुहाणिटाणंतरेण कालेण अवहिरिजदि ति सिद्धं । $ ५६८. पंचमवग्गणपमाणेण अवहिरिज्जमाणे सादिरेयतिरूवाहियदिवडगुणहाणिहाणंतरेण कालेण सव्वदव्यमवहिरिन्जदि । दिवड्डखेत्तम्मि पंचमवग्गणपमाणायददिवडगुणहाणिविक्खंभखेत्ते अवणिदे उव्वरिदछगुणहाणिमेत्तवग्गणविसेसेसु सादिरेयतिएिणपंचमवग्गणाणमुवलंभादो। चत्तारि रूवाणि ण पूरंति, सोलसवग्गणविसेसेहि यूणदोगुणहाणिमेत्तवग्गणविसेसाणमभावादो । नौ वर्गणाविशेष कम डेढ़ गुणहानिप्रमाण वर्गणाविशेषोंका अभाव है, अत: दो अधिक डेढ़ गुणहानिसे कुछ अधिक स्थानान्तर कालके द्वारा उसका अपहार होता है यह सिद्ध हुआ। विशेषार्थ-चौथी वर्गणा ५०० से समस्त द्रव्य ४९१५२ का अपहरण करने पर घर ६८ २५२==९८ ३८ अर्थात् दो अधिक डेढ़ गुणहानि (६६+२=९८ ) से कुछ अधिक ३८. अपहारकाल प्राप्त होता है । पूर्वोक्त डेढ़ गुणहानिप्रमाण (९६) लम्बे और प्रथम वर्गणाप्रमाण ( ५१२) चौड़े क्षेत्र में से डेढ़ गुणहानि प्रमाण ( ९६ ) लम्बे और तीन वर्गणाविशेष (३४४) प्रमाण चौड़े क्षेत्रको अलग करनेपर शेष क्षेत्र डेढ़ गुणहानिप्रमाण (९६) लम्बा और चतुर्थ वर्गणा (५०० ) प्रमाण चौड़ा अवस्थित रहता है। यदि तीन कम दो गुणहानि (६४४२-३= १२५) वर्गणाविशेष (४) की एक चतुर्थ वर्गणा ( ५०० ) प्राप्त होती है तो अलग ग्रहण किये गये क्षेत्र (डेढ़ गुणहानिx३४४ = साढ़े चार गुणहानिx४-६x६४४४) की कुछ अधिक दो चौथी वर्गणाएँ प्राप्त होती हैं इ४६४४४४१ - १२५४४ - १९४२४४ = २२८)। चतुर्थ वर्गणा पूरी तीन नहीं होती, क्योंकि पूरी तीन होनेमें नौ कम डेढ़ गुणहानिप्रमाण वर्गणा विशेपोंकी कमी है (३४१२५४४ - ३२४६x४ = ८७४४ =६६-६x४)। अतः समस्त द्रव्य को चौथी वर्गणाके प्रमाणसे करने पर वह दो अधिक डेढ़ गुणहानिसे कुछ अधिक कालके द्वारा अपहृत होता है यह कहा है। ५६८. पाँची वर्गणाके प्रमाणसे अपहृत करने पर समस्त द्रव्य तीन अधिक डेढ़ गुणहानिसे कुछ अधिक स्थानान्तर कालके द्वारा अपहृत होता है। डेढ़ गुणहानि प्रमाण क्षेत्रमें से पाँचवीं वर्गणाप्रमाण आयामवाले और डेढ़ गुणहानिप्रमाण विस्तारवाले क्षेत्रको अलग करने पर शेष रहे छह गुणहानिप्रमाण वर्गणाविशेषोंमें पाँचवीं वर्गणाऐं साधिक तीन प्राप्त होती हैं। पूरी चार नहीं प्राप्त होती; क्योंकि सोलह वर्गणाविशेष कम दो गुणहानिप्रमाण वर्गणाविशेषोंका अभाव है। विशेषार्थ-पाँचवीं वर्गणा (४६६) के प्रमाणसे समस्त द्रव्य (४६१५२ ) को अपहृत करने पर तीन अधिक डेढ़ गुणहानिसे कुछ अधिक काल प्राप्त होता है (४६१५२ = ६६.१२ )। क्षेत्र की अपेक्षा डेड गुणहानि प्रमाण (६६ ) लम्बे और चार वर्गणा विशेष प्रमाण चौड़े (४४४) क्षेत्रको अलग करनेपर शेष क्षेत्र पाँचवीं वर्गणाप्रमाण (४६६) चौड़ा और डेढ़ गुणहानि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001411
Book TitleKasaypahudam Part 05
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year1956
Total Pages438
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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