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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[हिदिविहत्ती ३
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भंगो। बादरवणप्फदिकाइयपज्जत्ताणं बादरेइंदियपज्जत्तभंगो।
५६. पंचमण-पंचवचि० मोह० उक्क० अणुक्क० जह० एगसमओ, उक्क० अंतोमुहुत्त। एवं वेउव्वियकाय० वत्तव्वं । ओरालि० मोह० उक्क० ओघभंगो। अणुक्क० के० ? जह० एगसमयो, उक्क० बावीसवाससहस्साणि देसूणाणि । ओरालियमिस्स० मोह० उक्क० के० ? जहण्णुक्क० एगसमओ । अणुक्क० ज. खुद्दाभवग्गहणं तिसमऊणं, उक्क० अंतोमु०।।
६०. वेउव्वियमिस्स० मोह. उक्क० जहण्णुक्क० एगसमओ, अणुक्क० जह अंतोमहत्तं समऊणं, उक्क० अंतोमु० । एवमाहारमिस्स०-उवसम०-सम्मामि० वत्तव्वं । आहार० मोह० उक्क० जहण्णुक्क० एगसमओ । (अणुक्क०) ज० एगस०, उक्क० अंतोमु । एवमवगद-अकसा०-सुहुमसांप०-जहाक्वाद. वत्तव्वं । कम्मइय० मोह० उक्का जहण्णुक्क० एगस०, अणुक्क० जह० एगसमत्रो, उक्क तिणि समया। एकेन्द्रिय जीवोंके समान और बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्त जीवोंके बादर एकेन्द्रिय पर्याप्त जीवोंके समान काल जानना चाहिये। तात्पर्य यह है कि इनके सब प्रकारसे एकेन्द्रिय और उनके भेदप्रभेदोंके समान उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट स्थितिका काल बन जाता है।
५६. पांचों मनोयोगी और पांचों वचनयोगी जीवोंके मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थिति और अनुत्कृष्ट स्थितिका जघन्य सत्त्वकाल एक समय है तथा उत्कृष्ट सत्त्वकाल अन्तर्महूर्त है। इसी प्रकार वैक्रियिककाययोगी जीवोंके कहना चाहिये । औदारिककाययोगी जीवोंके मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थितिका सत्त्वका ओघके समान है। तथा अनुत्कृष्ट स्थितिका सत्त्वकाल कितना है ? जघन्य सत्त्वकाल एक समय और उत्कृष्ट सत्त्वकाल कुछ कम बाईस हजार वर्ष है। औदारिकमिश्रकाययोगी जीवोंके मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थितिका सत्त्वकाल कितना है ? जघन्य और उत्कृष्ट दोनों एक समय हैं। तथा अनुत्कृष्ट स्थितिका जघन्य सत्त्वकाल तीन समय कम खुद्दाभवग्रहण प्रमाण और उत्कृष्ट सत्त्वकाल अन्तमुहूर्त है।
६०. वैक्रियिकमिश्रकाययोगी जीवोंके मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थितिका जघन्य और उत्कृष्ट सत्त्वकाल एक समय है। तथा अनुत्कृष्ट स्थितिका जघन्य सत्त्वकाल एक समय कम अन्तर्महूर्त और उत्कृष्ट सत्त्वकाल अन्तमुहूर्त है । इसी प्रकार आहारकमिश्रकाययोगी, उपशमसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंके कहना चाहिये। आहारककाययोगी जीवोंके मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थितिका जघन्य और उत्कृष्ट सत्त्वकाल एक समय है। तथा अनुत्कृष्ट स्थितिका जघन्य सत्त्वकाल एक समय और उत्कृष्ट सत्त्वकाल अन्तर्मुहूर्त है। इसी प्रकार अपगतवेदी, अकषायी, सूक्ष्मसांपरायिकसंयत और यथाख्यातसंयत जीवोंके जानना चाहिये । कामणकाययोगी जीवोंके मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थितिका जघन्य और उत्कृष्ट सत्त्वकाल एक समय है। तथा अनुत्कृष्ट स्थितिका जघन्य सत्त्वकाल एक समय और उत्कृष्ट सत्त्वकाल तीन समय है।
विशेषार्थ-पांचों मनोयोग और पांचों वचनयोगोंका जघन्यकाल एक समय और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है अतः इनके मोहनीयकी उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट स्थितिका जघन्यकाल एक
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