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________________ ४८६ जथघवलासहिदे कसायपाहुडे [ द्विदिविहती ३ जाव अंतोकोडा कोडिति । पंचणोक० किमुक्क० अणुक्क० ? उक्कस्सा अणुक्कस्सा वा । उक्कस्सादो अणुक्कस्सा समयूणमादि काढूण जाव वीसंसागरोत्रम कोडाकोडीओ पलिदो ० असंखे० भागेणूणाओ त्ति । $ ८१८. सम्मत्तुकस्सडिदिविहत्तियस्स मिच्छत्त० किमुक्क० अणुक्क० १ नियमा अणुक्कस्सा तोमुहुत्तणा । णत्थि अण्णो वियप्पो । सम्मामि० किमुक्क० अणुक्क० ? णियमा उक्कस्सा | सोलसक० णवणोक० किमुक्क० अणक्क० ? णियमा अणुक्क० अंतोमुहुत्तणमादि काढूण जाव पलिदो ० असंखे० भागेणूणा त्ति । एवं सम्मामि० । ८१९. ताणु०कोध० मिच्छत्त- पण्णारसक० किमुक्क० अणुक्क० ? उकस्सा अणुकस्सा वा । उकस्सादो अकस्सा समयूगमादि काढूण जाव पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागेणूणा त्ति । सम्मत्त सम्मामि मिच्छत्तभंगो । चत्तारिणोक० किमुक्क० अणुक्क ० १ णियमा अणुक्कस्सा अंतोमुहुत्तूणमादि काढूण जाव अंतोकोडाकोडित्ति । पंचणाक० किमुक्क० अणुक्क० ? उक्कस्सा अणुक्कस्सा वा । जदि अणुक्कस्सा समऊणमादि काढूण जाव वीसंसागरोवमकोडाकोडीओ पलिदो० असंखेज्जदिभागेण ऊणाओ त्ति । एवं पण्णारसकसायाणं । होती है या अनुत्कृष्ट ? नियमसे अनुत्कृष्ट होती है । जो अन्तमुहूर्त कम अपनी उत्कृष्ट स्थिति से लेकर अन्तःकोड़ाकोड़ी सागर तक होती है। पांच नोकषायों की स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? उत्कृष्ट अथवा अनुत्कृष्ट होती है । उनमें अनुत्कृष्ट स्थिति एक समय कम अपनी उत्कृष्ट स्थिति से लेकर पल्योपमका असंख्यावां भाग कम बीस कोड़ा कोड़ी सागर तक होती है । $ १८. सम्यक्त्वकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्तिवाले जीवके मिथ्यात्वकी स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अत्कृष्ट ? नियमसे अनुत्कृष्ट होती है । जो अपनी उत्कृष्टसे अन्तर्मुहूर्त कम होती है । यहां मिथ्यात्वको स्थितिका अन्य विकल्प नहीं होता । सम्यग्मिथ्यात्वका स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? नियमसे उत्कृष्ट होती है । सोलह कषाय और नौ नोकपायों की स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? नियमसे अनुत्कृष्ट होती है । जो अपनी उत्कृष्टकी अपेक्षा अन्तर्मुहूर्त कम से लेकर पल्योपमके असंख्यातवें भाग कम तक होती हैं । इसी प्रकार सम्यग्मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्तिवाले जीवके सन्निकर्षका कथन करना चाहिये । ६ ८१६. अनन्तानुबन्धी क्रोधकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्तिवाले जीवके मिथ्यात्व और पन्द्रह कषायों की स्थिति क्या उत्कृष्ट होती हैं या अनुत्कृष्ट ? उत्कृष्ट अथवा अनुत्कुष्ट होती हैं । वह अनुत्कृष्ट स्थिति एक समय कम अपनी उत्कृष्ट स्थिति से लेकर पल्योपमके असंख्यातवें भाग कम तक होती है । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका भंग मिध्यात्वके समान है । चारों नोकपायोंका स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? नियमसे अनुत्कृष्ट होती है जो अन्तर्मुहूर्त कम अपनी उत्कृष्ट स्थिति से लेकर अन्तःकोड़ाकाड़ी सागर तक होती है। पांच नोकषायों की स्थिति क्या उत्कृष्ट होती है या अनुत्कृष्ट ? उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी । यदि अनुत्कृष्ट होती है तो एक समय कम अपनी उत्कष्ट स्थिति से लेकर पल्योपमका असंख्यातवां भाग कम बीस कोड़ाकोड़ी सागर तक होती है । इसी प्रकार शेष पन्द्रह कषायोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्तिवाले जीवके सन्निकर्ष जानना चाहिये । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001409
Book TitleKasaypahudam Part 03
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages564
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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