SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 431
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ द्विदिवसी * तिरहं संजलप पुरिसवेदाय जहणहिदिवित्तियंतरं जहरणेष एगसमओ । ४१२ ९ ६८५, सुगममेदं । * उक्कस्सेण वस्सं सादिरेयं । ६८६. कोधजहणहिदीए उक्कस्संतरकालो चत्तारि छम्मासा २४ माणस्स तिण्ण छम्मासा १८ मायाए दो छम्मासा १२ जेण होदि तेण तिण्हं संजलणाणमुक्कस्तरकालो वासं सादिरेयमिदि ण घडदे, किंतु पुरिसवेद - माणसं जलणाणमेदमंतरं जुज्जदे; तत्थद्वारसमासमेत्तुक संतरुवलंभादो त्ति ? होदि एसो दोसो जदि सव्वकालमुकस्संतराणं चैव संभवो होदि, ण पुण एवं संभवो उकस्संतराणमणुबद्धाणं जदि संभवो होदि तो दोन्हं चेय ण तिन्हं चदुण्हं वा । एवं कुदो णव्वदे ? तिन्ह संजल - पुरिसवेदाणं वासं सादिरेयमुक्कस्संतरं भण्णमाणसुत्तादो । तेणेदेसिं चदुण्हं कम्माणं दोन्हं छम्मासाणमुवरि को वि जिणदि भावो कालो हिओ त्ति वत्तव्वं । मायासंजलणाए संपुण्णवेळमासा चेव उक्कस्संतरं, तत्थ कथं वासं सादिरेयमेनंतरं जुज्जदे ? ण, तत्थ विलोभोदएण दो - तिष्णिश्रदिवारं खवगसेटिं चडाविदे सादिरेयवेछम्मासमेत्तुकस्संतरुवलं भादो । जदि एवं तो माण- माया लोभाणमेग-दो-तिसंयोगाणं * तीन संज्वलन और पुरुषवेदकी जघन्य स्थितिविभक्तिवालोंका जघन्य अन्तर काल एक समय है । § ६८५. यह सूत्र सुगम है । * तथा उत्कृष्ट अन्तरकाल साधिक एक वर्ष है । ९६८६. शंका- चूंकि क्रोधकी जघन्य स्थितिका उत्कृष्ट अन्तर काल चौबीस महीना, मानका अठारह महीना और मायाका बारह महीना होता है इसलिये तीन संज्वलनोंका उत्कृष्ट अन्तरकाल साधिक एक वर्ष नहीं बनता, किन्तु पुरुषवेद और मान संज्वलनका साधिक एक वर्ष अन्तरकाल बन जाता है, क्योकि इन दोनों प्रकृतियोंका अठारह महीना प्रमाण उत्कृष्ट अन्तरकाल पाया जाता है ? समाधान- यदि सर्वदा उत्कृष्ट अन्तरकालोंका ही संभव होता तो यह दोष होता परन्तु ऐसा संभव नहीं है। क्योंकि अनुबद्ध रूपसे उत्कृष्ट अन्तरकालों की यदि संभावना है तो दोकी ही है, तीन और चार की नहीं । शंका- ऐसा किस प्रमाणसे जाना जाता है ? समाधान- तीन संज्वलन और पुरुषवेदके साधिक एक वर्ष प्रमाण उत्कृष्ट अन्तर कालको कहनेवाले उक्त सूत्र से ही यह जाना जाता है । अतः इन चार कर्मोंका एक वर्ष और इसके ऊपर जितना अधिक जिन भगवान्ने देखा हो उतना उत्कृष्ट अन्तरकाल होता है, ऐसा कहना चाहिये । शंका- मायासंज्वलनका पूरा एक वर्ष उत्कृष्ट अन्तर काल है, अतः उसका साधिक एक वर्ष उत्कृष्ट अन्तरकाल कैसे बन सकता है ? समाधान- नहीं, क्योंकि लोभके उदयसे दो, तीन आदि बार जीवोंको क्षपकश्रेणीपर चढ़ाने पर मायाका भी साधिक एक वर्ष प्रमाण उत्कृष्ट अन्तरकाल प्राप्त हो जाता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001409
Book TitleKasaypahudam Part 03
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages564
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy