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गा० २२] द्विदिविहत्तीए उत्तरपयडिहिदिकालो
२६१ समए णिस्संतभावुवलंभादो।
* छण्णोकसायाण जहण्णढिदिसंतकम्मियकालो जहण्णकस्सेण अंतोमुहत्तं ।
$ ५१३. अद्धाछेदो णिसेयपहाणो, तस्स जदि एसो कालो घेप्पदि तो छण्णोकसायाणं जहण्णहिदीए कालस्स अंतोमुहुत्तत्तं जुज्जदे; विदियहिदीए हिदछण्णोकसायहिदीए चरिमकंडयसरूवेण अवहिदाए चरिमद्विदिकंडयउक्कीरणद्धामेत्तकालम्मि सम्वणिसेयाणं गलणेण विणा अवहाणुवलंभादो। ए जहण्णहिदीए अंतोमुहुत्तत्तमुवलब्भदे; तत्थ कालस्स पहाणत्तुवलंभादो त्ति ? ण एस दोसो, जहण्णहिदि-जहण्णहिदिअद्धच्छेदाणं जइवसहुच्चारणाइरिएहि णिसेगपहाणाणं गहणादो। उक्स्सहिदी उक्कासहिदिअद्धाछेदो च उक्कस्सहिदिसमयपबद्धणिसेगे मोत्तूण गाणासमयपबद्धणिसेगपहाणा तेण अंतोमुहुत्तकालावहाणं छण्णोकसायजहण्णहिदीए जुज्जदि त्ति । पुचिल्लवक्खाणमेदेण सुरेण सह किण्ण विरुज्झदे ? सच्चमेदं विरुज्झदे चेव, किंतु उक्कस्सहिदि-उक्क हिदिअद्धाछेद-जहण्णहिदि-ज हिदिअद्धाछेदाणं भेदपरूवण तं वक्वाणं कयं वक्रवाणाइरिएहि । चुण्णिसुत्तुच्चारणाइरियाणं पुण एसो णाहिप्पामो;
किन्तु दूसरे समयमें इनका निःसत्त्वभाव पाया जाता है । अतः उक्त प्रकृतियों की जघन्य स्थितिका जघन्य काल एक समय कहा ।
* छह नोकषायोंके जघन्य स्थिति सत्कर्मका जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है।
५१३. शंका-अद्धाच्छेद निषेकप्रधान है। उसका यदि यह काल लिया जाता है तो छह नोकषायोंकी जघन्य स्थितिका काल अन्तर्मुहूर्त बन जाता है क्योंकि द्वितीय स्थितिमें स्थित छह नोकषायोंकी स्थितिके अन्तिम काण्डकरूपसे अवस्थित रहनेपर अन्तिम स्थितिकाण्डकके उत्कीरण काल प्रमाण काल तक सब निषेकोंका गलनेके बिना अवस्थान पाया जाता है। पर जघन्य स्थितिका अवस्थान अन्तर्मुहूर्त तक नहीं बन सकता है, क्योंकि उसमें कालकी प्रधानता स्वीकार की गई है?
समाधान-यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि जबन्य स्थिति और जघन्य स्थितिअद्धाच्छेदको यतिवृषभ आचार्य और उच्चारणाचार्यने निषेकप्रधान स्वीकार किया है । तथा उत्कृष्ट स्थिति
और उत्कृष्ट स्थितिअद्धाच्छेद उत्कृष्ट स्थितिवाले समयप्रबद्रके निषेकोंकी अपेक्षा न हो कर नाना समयप्रबद्धोंके निषेकोंकी प्रधानतासे होता है. अतः छह नोकषायोंकी जघन्य स्थितिका अन्तमुहूर्तेकाल तक अवस्थान बन जाता है।
शंका-पूर्वोक्त व्याख्यान इस सूत्रके साथ विरोधको क्यों नहीं प्राप्त होता है ?
समाधान-यह सच है कि पूर्वोक्त व्याख्यान इस सूत्रके साथ विरोधको प्राप्त होता ही है किन्तु उत्कृष्ट स्थिति और उत्कृष्ट स्थिति अद्वाच्छेदमें तथा जघन्य स्थिति और जघन्य स्थितिअद्धाच्छेदमें भेदके कथन करनेके लिये व्याख्यानाचार्यने वह व्याख्यान किया है। पर चूर्णिसूत्र
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