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जयघवलासहिदे कसायपाहुडे [द्विदिनिहत्ती ३ * सम्मत्त-सम्मामिच्छत्ताणमुकस्सहिदिवित्तीओ केवचिर कालादो होदि ? ६४८३. सुगमं ।
* जहण्णुक्कस्सेण एगसमओ ।
$ ४८४. कुदो ? अहावीससंतकम्मिएण मिच्छादिहिणा तिव्वसंकिलेसेण चउद्याणियजवमज्झस्स उवरि अंतोकोडाकोडिमेत्तदाहहिदि बंधमाणेण उक्स्सहिदि बंधिय अंतोमुहुत्तपडिभग्गेण वेदगसम्मत्ते गहिदे तग्गहणपढमसमए चेव सम्मत्त-सम्मामिच्छत्ताणमुकस्सहिदिदसणादो ।
* इस्थिवेद-पुरिसवेद-हस्स-रदीणमुक्कस्सहिदिविहत्तीओ केवचिर कालादो होदि ?
विशेषार्थ भय और जुगुप्सा तो ध्रुवबन्धिनी प्रकृतियाँ हैं, अतः उनका बन्ध तो सर्वदा होता रहता है । किन्तु नपुंसकवेद, अरति और शोक, इन नोकषायोंका बन्ध अन्य समयमें होता भी है और नहीं भी होता है परन्तु उत्कृष्ट स्थितिबन्धके समय अवश्य होता है। अब किसी जीवने कषायकी उत्कृष्ट स्थितिका एक समय तक बन्ध किया और वह जीव कषायकी उत्कृष्ट स्थिति बन्धके पश्चात् एक आवलि कालतक इन पांच नोकषायोंका बन्ध करता रहा तो उसके एक आवलिके पश्चात् कषायोंकी वह उत्कृष्ट स्थिति पांच नोकषायोंमें संक्रमित हो जाती है और इस प्रकार उक्त पाँच नोकषायोंकी उत्कृष्ट स्थिति एक समय काल तक पाई जाती है। तथा किसी अन्य जीवने अन्तर्मुहूर्त काल तक सोलह कषायोंकी उत्कृष्ट स्थिति बाँधी और वह जीव कषायोंकी उत्कट स्थिति बन्धके पश्चात एक आवलि कालतक उक्त पाँच नोकषायोंका बन्ध करत तो उसके कषायोंकी उत्कृष्ट स्थितिबन्धके प्रारम्भ होनेके एक आवलि कालसे लेकर बन्ध समाप्त होनेके एक आवलि काल तक सोलह कषायोंकी उत्कृष्ट स्थिति पांच नोकाषायोंमें संक्रमित होती रहती है और इस प्रकार पांच नोकषायोंकी उत्कृष्ट स्थितिका अवस्थानकाल कषायोंके समान अन्तमुहूर्त प्राप्त हो जाता है।
७ सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति वालेका कितना काल है ? ६४८३ यह सूत्र सुगम है ।। * जघन्य और उत्कृष्ट काल एक समय है । $ ४८४ शंका-इनका जघन्य और उत्कृष्ट काल एक समय क्यों है ?
समाधान-जो अट्ठाईस कोंकी सत्तावाला है और जो तीव्र संक्लेशरूप परिणामोंके कारण चतुःस्थानिक यवमध्यके ऊपर अन्तः कोड़ाकोड़ी प्रमाण दाहस्थितिका बन्ध कर रहा है ऐसा कोई मिथ्यादृष्टि जीव उत्कृष्ट स्थितिको बांधकर और उत्कृष्ट संक्लेशरूप परिणामोंसे निवृत्त होकर अन्तर्मुहूर्त कालतक विशुद्धिको प्राप्त होता हुआ जब वेदक सम्यक्त्वको स्वीकार करता है तब उसके वेदक सम्यक्त्वके ग्रहण करनेके प्रथम समयमें सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट स्थिति देखी जाती है। अतः इन दोनोंकी उत्कृष्ट स्थितिका जघन्य और उत्कृष्ट काल एक समय कहा है।
* स्त्रीवेद, पुरुषवेद, हास्य और रतिकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्तिवालेका कितना काल है ?
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पामाक
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