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________________ गा० १२ ] अत्याहियारगाहासूई १७५ एस गाहेत्ति ताव छब्भासगाहाओ ६ । 'कदिसु गदीसु भवेसु अ०' एदिस्से चउत्थमूलगाहाए तिण्णि भासगाहाओ। ताओ कदमाओ ? 'दोसु गदीसु अभज्जा.' एस गाहा प्पहुडि जाव 'उकस्से (स्सय) अणुभागे डिदिउक्कस्साणि०' एस गाहेत्ति ताव तिपिण भासगाहाओ३। 'पज्जत्तापज्जत्तेण तथा०' एदिस्से पंचमीए मूलगाहाए चत्तारि भासगाहाओ। ताओ कदमाओ ? 'पंज्जत्तापज्जत्ते मिच्छत्त०' एस गाहा पहुडि जाव 'कम्माणि अभज्जाणि दु०' एस गाहे त्ति ताव चत्तारि भासगाहाओ ४ । 'किं लेग्साए षद्धाणि०' एदिरसे छट्ठीए मूलगाहाए दो भासगाहाओ । ताओ कदमाओ ? 'लेस्सा सादमसादे य०' एस गाहा पहुडि जाव 'एंदाणि पुव्यबद्धाणि' एस गाहेति ताव दो भासगाहाओ २। 'एंगसमयपवद्धा पुण अच्छुद्धा०' एदिस्से सत्तमीए मूलगाहाए चत्तारि भासगाहाओ। ताओ कदमाओ 'छण्हं आवलियाणं अच्छुद्धा०' एस गाहा पहुडि जाव 'एदे समयपबद्धा अच्छुद्धा०' एस गाहेत्ति ताव चत्तारि भासगाहाओ ४ । 'एंगसमयपबद्धाणं सेसाणि य०' एदिस्से अट्ठमीए मूलगाहाए चत्तारि भासगाहाओ। ताओ कदमाओ ? 'एकम्मि हिदिविसेसे०' एस गाहा पहुडि जाव 'एदेण अंतरेण दु०' एस गाहे त्ति ताव चत्तारि भासगाहाओ ४ । 'किट्टीकयम्मि कम्मे०' एदिरसे णवमीए कालो किट्टी य०' इस गाथा तक छह भाष्यगाथाएं हैं। 'कदिसु गदीसु भवेसु अ०' कृष्टि संबन्धी इस चौथी मूलगाथाकी तीन भाष्यगाथाएं हैं। वे कौनसी हैं ? 'दोसु गदीसु अभज्जा०' इस गाथासे लेकर 'उक्कस्से अणुभागे विदिउकस्साणि०' इस गाथा तक तीन भाष्यगाथाएं हैं। 'पज्जत्तापज्जत्तेण तथा०' कृष्टिसंबन्धी इस पांचवी मूलगाथाकी चार भाष्यगाथाएं हैं। वे कौनसी हैं ? 'पज्जत्तापज्जत्ते मिच्छत्ते०' इस गाथासे लेकर 'कम्माणि अभज्जाणि दु०' इस गाथा तक चार भाष्यगाथाएं हैं। किं लेस्साए बद्धाणि०' कृष्टिसम्बन्धी इस छठी मूल गाथाकी दो भाष्यगाथाएं हैं । वे कौनसी हैं ? 'लेस्सा सादमसादे य०' इस गाथासे लेकर 'एदाणि पुव्वबद्धाणि०' इस गाथा तक दो भाष्यगाथाएँ हैं । 'एकसमयपबद्धा पुण अच्छुद्धा०' इस कृष्टिसंबन्धी सातवीं मूलगाथाकी चार भाष्यगाथाएँ हैं। वे कौनसी हैं ? 'छहं आवलियाणं अच्छुद्धा०' इस गाथासे लेकर 'एदे समयपबद्धा अच्छुद्धा०' इस गाथा तक चार भाष्यगाथाएँ हैं । 'एगसमयपबद्धाणं सेसाणि य०' कृष्टिसम्बन्धी इस आठवीं मूलगाथाकी चार भाष्यगाथाएँ हैं। वे कौनसी हैं ? 'एक्कम्मि दिदिविसेसे०' इस गाथासे लेकर 'एदेण अंतरेण दु०' इस गाथा तक चार भाष्यगाथाएँ हैं। (१) सूत्रगाथाङ्कः १८२। (२) सूत्रगाथाङ्कः १८३। (३) सूत्रगाथाङ्कः १८५। (४) सूत्रगाथाङ्क: १८६ । (५) सूत्रगाथाङ्कः १८७ । (६) सूत्रगाथाङ्कः १९० । (७) सूत्रगाथाङ्कः १९१ । (८) सूत्रगाथाङ्कः १९२ । (8) सूत्रगाथाङ्कः १९३ । (१०) सूत्रगाथाङ्कः १९४ । (११) मूत्रगाथाङ्कः १९५ । (१२) सूत्रगाथाङ्क: १९८० (१३) सूत्रगाथाङ्कः १९९। (१४) सूत्रगाथाङ्कः २००। (१५) सूत्र गाथाङ्कः २०३। (१६) सूत्रगाथाङ्कः २०४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001407
Book TitleKasaypahudam Part 01
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Mahendrakumar Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year1944
Total Pages572
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Karma, H000, & H999
File Size14 MB
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