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________________ का है ४१३ विषय पृष्ठ । विषय जघन्य स्वस्थानवेदनासन्निकर्ष चार प्रकार- जिसके आयुवेदना भावकी अपेक्षा जघन्य होती है उसके द्रव्य आदिकी अपेक्षा जिसके ज्ञानावरणीयवेदना द्रव्यकी अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार ४३१ जघन्य होती है उसके क्षेत्र आदिकी जिसके नामवेदना द्रव्यकी अपेक्षा जघन्य अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार ४ होती है उसके क्षेत्र आदिकी अपेक्षा जिसके ज्ञानावरणीयवेदना क्षेत्रकी अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार ४३३ जघन्य होती है उसके द्रव्य आदिकी जिसके नामवेदना क्षेत्रकी अपेक्षा जघन्य अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार ४१५ होती है उसके द्रव्य आदिकी अपेक्षा जिसके ज्ञानावरणीय वेदना कालकी अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार ४३४ जघन्य होती है उसके द्रव्य आदिकी जिसके नामवेदना कालकी अपेक्षा जघन्य अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार ४१८ होती है उसके द्रव्य आदिकी अपेक्षा जिसके ज्ञानावरणीय वेदना भावकी अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार जघन्य होती है उसके द्रव्य आदिकी जिसके नामवेदना भावकी अपेक्षा जघन्य अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार होती है उसके द्रव्य आदिकी अपेक्षा इसीप्रकार दर्शनावरणीय, मोहनीय कैसी होती है इसका विचार और अन्तरायके जाननेकी सूचना । ४२१ जिसके वेदनीयवेदना द्रव्यकी अपेक्षा जिसके गोत्रवेदना द्रव्यकी अपेक्षा जघन्य जघन्य होती है उसके क्षेत्र आदिकी होती है उसके क्षेत्र आदिकी अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार 'अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार ४२१ ४३६ जिसके वेदनीयवेदना क्षेत्रकी अपेक्षा जिसके गोत्रवेदना क्षेत्रकी अपेक्षा जघन्य जघन्य होती है उसके द्रव्य आदिकी होती है उसके द्रव्य आदिकी अपेक्षा अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार ४२३ कैसी होती है इसका विचार ४४० जिसके वेदनीयवेदना कालकी अपेक्षा जिसके गोत्रवेदना कालकी अपेक्षा जघन्य जघन्य होती है उसके द्रव्य आदिकी होती है उसके द्रव्य आदिकी अपेक्षा अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार ४२४ कैसी हो । विचार ४४१ जिसके वेदनीयवेदना भावकी अपेक्षा जिसके गोत्रवेदना भावकी अपेक्षा जघन्य जघन्य होती है उसके द्रव्य आदिकी होती है उसके द्रव्य आदिकी अपेक्षा अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार ४२६ कैसी होती है इसका विचार ४४३ जिसके आयुवेदना द्रव्यकी अपेक्षा जघन्य परस्थानवेदनासन्निकर्षके दो भेद ४४४ होती है उसके क्षेत्र आदिकी अपेक्षा जघन्य परस्थानवेदनासन्निकर्षको स्थगित कैसी होती है इसका विचार ४२७ करनेकी सूचना ४४४ जिसके आयुवेदना क्षेत्रकी अपेक्षा जघन्य उत्कृष्ट परस्थानवेदनासन्निकर्षके चार भेद ४४५ होती है उसके द्रव्य आदिकी अपेक्षा जिसके ज्ञानावरणीयवेदना द्रव्यकी अपेक्षा कैसी होती है इसका विचार उत्कृष्ट होती है उसके छह कर्मोंकी द्रव्यजिसके आयुवेदना कालकी अपेक्षा जघन्य वेदना कैसी होती है इसका विचार ४४५ होती है उसके द्रव्य आदिकी अपेक्षा उसके आयुवेदना द्रव्यकी अपेक्षा कैसी कैसी होती है इसका विचार । होती है इसका विचार ४४७ ४२६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001406
Book TitleShatkhandagama Pustak 12
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1955
Total Pages572
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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