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छक्खंडागमै वैयणाखंड केत्तियमेत्तो विसेसो ? अंगुलस्स असंखेज्जदिभागमत्तो।
सुहुमपुढविकाइयणिवत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ॥ ५९॥
को गुणगारो १ आवलियाएं असंखेज्जदिभागो।
तस्सेव णिवत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया ॥६० ॥
केत्तियमेत्तो विसेसो १ अंगुलस्स असंखेज्जदिमागमेत्तो।
तस्सेव णिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्तिया ओगाहणा विसेसाहिया ॥ ६१ ॥
केत्तियमेत्तो विसेसो ? अंगुलस्स असंखेज्जदिभागमेत्तो ।
बादरवाउक्काइयणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ॥ ६२ ॥
को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो।
तस्सेव णिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया ॥ ६३॥
विशेष कितना है? वह अंगुलके असंख्यातवें भाग प्रमाण है।
उससे सूक्ष्म पृथिवीकायिक निर्वृत्तिपर्याप्तककी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है ॥ ५९॥
गुणकार क्या है ? गुणकार आवलीका असंख्यातवां भाग है । उसके ही निवृत्त्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना उससे विशेष अधिक है ॥६॥ विशेष कितना है ? वह अंगुलके असंख्यातवें भाग प्रमाण है। उसके ही निवृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना उससे विशेष अधिक है ॥ ६१॥ विशेष कितना है ? यह अंगुलके असंख्यातवें भाग प्रणाण है।
उससे पादर वायुकायिक निवृत्तिपर्याप्तककी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है ॥ २॥
गुणकार क्या है ? गुणकार पल्योपमका असंख्यातवां भाग है। उसके ही निर्वृत्त्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना उससे विशेष अधिक है ॥६॥ १ प्रतिधु 'पलिदोनमस्स' इति पाठः ।
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