________________
२८॥
छक्खंडागमे वैयणाखंड [४, २, ५, १३. जीवेहितो विदियट्ठाणजीवा विसेसाहिया विसेसहीणा वा अंतोमुहुत्तपडिभागेण ।
उक्कस्सट्ठाणजीवा सव्वट्ठाणजीवाणं केवडिओ भागो ? अणंतिमभागो । जहण्णए हाणे जीवा सव्वट्ठाणजीवाणं केवडिओ भागो ? असंखेज्जदिभागो। अजहण्णअणुक्कस्सएसु ट्ठाणेसु जीवा सव्वजीवाणं केवडिओ भागो? असंखेज्जा भागा। एवं भागाभागपरूवगा गदा ।
. सव्वत्थोवा उक्कस्सए ढाणे जीवा । जहण्णए ठाणे अणतगुणा । अजहण्णअणुक्कस्सएसु हाणेसु जीवा असंखेज्जगुणा । को गुणगा। ? अंगुलस्स असंखेज्जदिभागो । अजहण्णए ढाणे जीवा विसेसााहया । अणुक्कस्सए ठाणे जीवा विसेसाहिया। सव्वेसु ट्ठाणेसु जीवा विसेसाहिया ।
अधवा अप्पाबहुगं तिविहं- जहण्णयमुक्कस्सयमजहण्णमणुक्कस्सयं चेदि । तत्थ जहण्णए - सव्वत्थोवा जहण्णए ठाणे । अजहण्णए ठाणे जीवा असंखेज्जगुणा। उक्कस्सए पयदं- सव्वत्थोवा उक्कस्सए द्वाणे जीवा । अणुक्कस्सए द्वाणे जीवा अणंतगुणा । अजहण्णअणुक्कस्सए पयदं- सव्वत्थोवा उक्कस्सए ठाणे जीवा । जहण्णए ट्ठाणे जीवा अणंतगुणा । अजहण्णअणुक्कस्सएसु ठाणेसु जीवा असंखेज्जगुणा । अजहण्णए
-
अ
अपेक्षा द्वितीय स्थान सबन्धी जीव अन्तर्मुहूर्त प्रतिभागसे विशेष अधिक अथवा विशेष हीन हैं।
उत्कृष्ट स्थानके जीव सब स्थान सम्बन्धी जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? वे उनके अनन्तवें भाग प्रमाण हैं। जघन्य स्थानमें जीव सब स्थानों सम्बन्धी जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? वे उनके असंख्यातवें भाग प्रमाण हैं। अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थानों में जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? वे उनके असंख्यात वहभाग प्रमाण हैं। इस प्रकार भागभागप्ररूपणा समाप्त हुई।
उत्कृष्ट स्थानमें जीव सवसे थोड़े हैं । उनसे जघन्य स्थानमें वे अनन्तगुणे हैं। उनसे अजघन्य अनुत्कृष्ट स्थानों में जीव असंख्यातगुणे हैं ।
शंका-गुणकार क्या है ? समाधान-गुणकार अंगुलका असंख्यातवां भाग है ।
उनसे अजघन्य स्थानमें जीव विशेष अधिक है। अनुत्कृष्ट स्थानमें जीव उनसे विशेष अधिक हैं । उनसे सब स्थानों में जीव विशेष अधिक है।
___अथवा, अल्पबहुत्व तीन प्रकार है- जघन्य, उत्कृष्ट और अजघन्य अनुत्कृष्ट । उनमें जघन्य अल्पबहुत्व प्रकृत है- जघन्य स्थानमें जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे अजघन्य स्थानमें जीव असंख्यातगुणे हैं। उत्कृष्ट अल्पवहुत्व प्रकृत है-- उत्कृष्ट स्थानमें जीव सबसे थोड़े हैं । अनुत्कृष्ट स्थानमें जीव उनसे अनन्तगुणे हैं। अजघन्यअनुकृष्ट अल्पबहुत्व प्रकृत है-उत्कृष्ट स्थान में जीव सबसे स्तोक हैं। जघन्य स्थानमें जीव उनसे अनन्तगुणे हैं। अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थानों में जीव उनसे असंख्यातगुणे हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org