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४, २, ५, ६.] वेयणमहाहियारे वेयणखेत्तविहाणे सामित्त णोआगमभावजहण्णं । एत्थ ओघजहण्णखेत्तेण पयदं, णाणावरणीयखेत्तेसु सव्वजहण्णखत्तगहणादो । सव्वजहण्णखेत्तमेगो आगासपदेसो त्ति एत्थ ण घेत्तव्वं, णाणावरणीयखेत्तेसु तदभावादो।
उक्कस्सं चउब्विहं णाम-ट्ठवणा-दव्व-भावुक्कस्सभेएण । तत्थ णाम-ट्ठवणुक्कस्साणि सुगमाणि । दव्वुक्कस्सं दुविहं आगम-णोआगमदब्बुक्कस्सभेएण । तत्थ उक्कस्सपाहुडजाणगो अणुवजुत्तो आगमदव्वुक्कस्स । णोआगमदव्बुक्कस्सं तिविहं जाणुगसरीर-भवियतव्वदिरित्तगोआगमदव्बुक्कस्सभेदेण । जाणुगशरीर-भवियोगमदबुक्कस्साणि सुगमाणि । तव्वदिरित्तणोआगमदब्बुक्कस्सं दुविहं- ओघुक्कस्समादेसुक्कस्सं चेदि । तत्थ ओघुक्कस्सं चउविहं- दव्यदो खेत्तदो कालदो भावदो चेदि । तत्थ दव्वदो उक्कस्सं महाखंधो । खेत्तुक्करसं दुविहं-- कम्मवखेत्तं णोकम्मक्खेत्तमिदि । कम्मखेत्तुक्कस्सं लोगागासं । णोकम्मक्खेत्तुक्कस्सं आगासदव्वं । कालदो उक्कस्समणंता लोगा । भावदो उक्कस्सं सव्वुक्कस्सवण्ण-गंध-रस-पासा । आदेसुक्कस्तं पि चउविहं- दव्वदो खेत्तदो कालदो भावदो चेदि । तत्थ दबदो एपरमाणुं दळूण दुपदेसियक्खंधो आदेसुक्करसं । दुपदेसियखधं दह्ण तिपदेसियक्वंधो वि आदेसुक्कस्सं । एवं सेसेसु वि णेदवं । खेत्तदो एयक्खेत्तं दळूण
__यहां ओघजधन्य क्षेत्र कृत है, क्योंकि, ज्ञानावरणीयके क्षेत्रोंमें सर्वजघन्य क्षेत्रका ग्रहण है। यहां सर्वजघन्य क्षेत्ररूप एक आकाशप्रदेशको नहीं लेना चाहिये, क्योंकि, शानावरणीयके क्षेत्रोंमें उसका (सर्वजघन्य क्षेत्रका) अभाव है।
उत्कृष्ट नामउत्कृष्ट, स्थापनाउत्कृष्ट, द्रव्य उत्कृष्ट और भावउत्कृष्टके भेदसे चार प्रकार है । उनमें नामउत्कृष्ट और स्थापनाउत्कृष्ट सुगम है। द्रव्यउत्कृष्ट आगमद्रव्यउत्कृष्ट और नोआगमद्रव्यउत्कृष्टके भेदसे दो प्रकार है । उनमें उत्कृष्ट प्राभृतका जानकार उपयोग रहित जीव आगमद्रव्यउत्कृष्ट है। नोआगमद्रव्यउत्कृष्ट ज्ञायकशरीर, भावी और तद्व्यतिरिक्त नोआगमद्रव्यउत्कृष्टके भेदसे तीन प्रकार है । इनमें शायकशरीर और भावी नोआगमद्रव्य उत्कृष्ट सुगम हैं। तद्व्यतिरिक्त नोआगमद्रव्यउत्कृष्ट दो प्रकार है- ओघउत्कृष्ट और आदेशउत्कृष्ट । इनमें ओघउत्कृष्ट द्रव्य, क्षेत्र, काल और भावकी अपेक्षा चार प्रकार है। उनमें द्रव्यले उत्कृष्ट महास्कन्ध है। क्षेत्रकी अपेक्षा उत्कृष्ट दो प्रकार है- कर्मक्षेत्र और नोकर्मक्षेत्र । लोकाकाश कर्मक्षेत्र उत्कृष्ट है। आकाश द्रव्य नोकर्मक्षेत्रउत्कृष्ट है। अनन्त लोक कालसे उत्कृष्ट हैं। भावसे उत्कृष्ट सर्वोत्कृष्ट वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श हैं।
आदेशउत्कृष्ट भी द्रव्य, क्षेत्र, काल और भावकी अपेक्षा चार प्रकार है । इनमें एक परमाणुको देखकर दो प्रदेशवाला स्कन्ध द्रव्यसे आदेशउत्कृष्ट है। दो प्रदेशवाले स्कन्धको देखकर तीन प्रदेशवाला स्कन्ध भी आदेश उत्कृष्ट है। इसी प्रकार शेष स्कन्धों में भी ले जाना चाहिये । क्षेत्रकी अपेक्षा एक क्षेत्रप्रदेशको देखकर दो क्षेत्रप्रदेश
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