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१०] छक्खंडागमे वेयणाखंडं
[१, २, ५, १. विवक्खाभावादो । सामण्णविवक्खाए पुण संतीए तत्थ वि एदे दो भंगा वत्तव्वा । सिया ओमा, सिया विसिट्ठा, सिया णोम-णोविसिट्ठा । एवमोजस्स णव भंगा दस भंगा वा | ९|| एसो दसमसुत्तत्थो।
जुम्मणाणावरणीयवेयणा सिया उक्कस्सा, सिया अणुक्कस्सा, सिया जहण्णा, सिया अजहण्णा, सिया सादिया, सिया अणादिया, सिया धुवा, सिया अद्भुवा, सिया
ओमा, सिया विसिट्ठा, सिया णोम-णोविसिट्ठा । एवं जुम्मस्स एक्कारस बारस मंगा वा । ११ । । एसो एक्कारसमंसुत्तत्यो ।
ओमणाणावरणीयवेयणा सिया अणुक्कस्सा, सिया अजहण्णा, सिया सादिया । सिया अणादिया, ओमत्तसामण्णविवक्खाए । सिया धुवा तेणेव कारणेण । सिया अदुवा । सामण्णविवक्खाए अभावणे दव्वविहाणे ओमस्स अणादिय-धुवत्तं ण परविदं । सिया ओजा, सिया जुम्मा । एवमोमपदस्स अट्ठ णव मंगा वा । ८ ।। एसो बारसमसुत्तत्था ।
विसिट्ठणाणावरणीयवेयणा सिया अणुक्कस्सा , सिया अजहण्णा, सिया सादिया, सिया अणादिया, सिया धुवा, सिया अद्भुवा, सिया ओजा, सिया जुम्मा । एवं विसिट्ठपदस्स अट्ठ भंगा णव भंगा वा ] ८|| एसो तेरसमसुत्तत्था ।
समाधान - नहीं, क्योंकि, वहां सामान्यकी विवक्षाका अभाव है। यदि सामान्यकी विवक्षा अभीष्ट हो तो वहां भी इन दो पदोंको कहना चाहिये।
वह कथंचित् ओम, कथंचित् विशिष्ट और कथंचित् नोम-नोविशिष्ट भी है। इस प्रकार ओज पदके नौ (९) भंग अथवा दस भंग होते हैं । यह दसवे सूत्रका अर्थ है ।
युग्मज्ञानावरणीयवेदना कचित् उत्कृष्ट, कथंचित् अनुत्कृष्ट, कथंचित् जघन्य, कथंचित् अजघन्य, कथंचित् सादि, कथंचित् अनादि, कथंचित् ध्रुव, कथंचित् अध्रुव, कथंचित् भोम, कथंचित् विशिष्ट और कथंचित् नोम-नोविशिष्ट भी है। इस प्रकार युग्म पदके ग्यारह (११) अथवा बारह भंग होते हैं । यह ग्यारहवें सूत्रका अर्थ है।
___ ओमज्ञानावरणीयवेदना कथंचित् अनुत्कृष्ट, कथंचित् अजघन्य व कथंचित् सादि भी है । वह कथंचित् अनादि भी है, क्योंकि, ओमत्व सामान्यकी विवक्षा है। इसी कारणसे वह कथंचित् ध्रुव भी है। कथंचित् वह अध्रुव भी है। सामान्यकी विवक्षा न होनेसे द्रव्यविधानमें ओमके अनादि और ध्रुव पद नहीं कहे गये हैं। वह कथंचित् ओज और कथंचित् युग्म भी है। इस प्रकार ओम पदके आठ (८) अथवा नौ भंग होते हैं । यह बारहवे सूत्रका अर्थ है।
विशिष्टशानावरणीयवेदना कथंचित् अनुत्कृष्ट, कथंचित् अजघन्य, कथंचित् सादि, कथंचित् अनादि, कथंचित् ध्रुव, कथंचित् अध्रुव, कथंचित् ओज और कथंचित् युग्म भी है। इस प्रकार विशिष्ट पदके आठ (८) अथवा नौ भंग होते हैं। यह तेरहवें सूत्राका अर्थ है।
ताप्रतौ ' एक्कारस' इति पाठः। २ तापतौ 'सिया अधुवा सामण्णविववखाए अभावेण ।' इति पाठः।
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