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________________ ४, २, ६, १६४.] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे अप्पाबहुअपरूवणा [२९९ सुहमेइंदियपजत्तयस्स णामा-गोदाणं उक्कस्सओ द्विदिबंधो विसेस हिओ । बादरेइंदियपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। बादरेइंदियपज्जत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहण्णओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । सुहुमेइंदियपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहण्णओ हिदिबंधो • विसेसाहिओ । बादरेइंदियअपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहण्णओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। सुहुमेइंदियअपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहण्णओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । तस्सेव अपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। बादरेइंदियअपज्जत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। सुहुमेइंदियपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। बादरेइंदियपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। बादरेइंदियपज्जत्तयस्स मोहणीयस्स जहण्णओ हिदिबंधो संखेजगुणो । सुहुमेइंदियपज्जत्तयस्स मोहणीयस्स जहण्णओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । बादरेइंदियअपजत्तयस्स मोहणीयस्स जहण्णओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। सुहुमेइंदियअपज्जत्तयस्स मोहणीयस्स जहण्णओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । तस्सेव अपजत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सओ' हिदिबंधो विसेसाहिओ । बादरेइंदियअपजत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । सुहुमेइंदियपज्जत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। बादरेइंदियपज्जत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । बेइंदियपजत्तयस्स गामा-गोदाणं जहण्णओ पर्याप्तकके नाम-गोत्रका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तिकके नाम-गोत्रका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तकके चार काँका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकके चार कर्मोंका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके चार काँका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके चार कर्मोंका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके चार कर्मोंका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके चार काँका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकके चार काँका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तकके चार कर्मोंका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तकके मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है। सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकके मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तके मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके मोहनीयका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकके मोहनीयका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष भधिक है । बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तकके मोहनीयका उत्कर स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। १ तातो 'जह• ' इति पाठः। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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