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________________ ४, २, ६, १६४.] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे अप्पाबहुअपरूवणा [२९३ जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । असण्णिपंचिंदियपजत्तयस्य मोहणीयस्य जहणिया आबाहा संखेज्जगुणा । तस्सेव अपजत्तयस्स मोहणीयस्स जहण्णिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव मोहणीयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपजत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । सण्णिपंचिंदियपजत्तयस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा संखेजगुणा । तस्सेव चदुण्णं कम्माणं जहण्णिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव मोहणीयस्स जहणिया आबाहा संखेजगुणा । तस्सेव अपजत्तयस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा संखेजगुणा । तस्सेव चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव मोहणीयस्स जण्णिया आबाहा संखेजगुणा । तस्सेव णामा-गोदाणं आबाहट्ठाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि संखेजगुणाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । चदुण्णं कम्माणं आबाहहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि विसेसाहियाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । मोहणीयस्स आबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि संखेजगुणाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तेइंदियपजत्तयस्स आउअस्स आबाहाहाणाणि संखेजगुणाणि। उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । चउरिदियपजत्तयस्स आउअस्स आबाहाहाणाणि संखेजगुणाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । बेइंदियपज्जत्तयस्स [आउअस्स] आबाहट्ठाणाणि [ संखेजगुणाणि] । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । सण्णिपंचिंदियपजत्ताणं णामा-गोदाणं आबाहट्ठाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि चार कर्मोंकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तकके चार काँकी उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है। असंशी पंचेन्द्रिय पर्याप्तकके मोहनीयकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयकी जघन्य आवाधा विशेष अधिक है। उसीके मोहनीयकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। संशी पंचेन्द्रिय पर्याप्तकके नाम-गोत्रकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है । उसीके चार कर्मोंकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके मोहनोयकी जघन्य आवाधा संख्यातगुणी है । उसीके अपर्याप्तकके नाम गोत्रकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। उत्तीके चार कर्मोंकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके मोहनीयकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। उसीके नाम गोत्रके आबाधास्थान और आवाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य संख्यातगुणे हैं । उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। चार कमोके आवाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य विशेष अधिक है। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । मोहनीयके आवाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही. तुल्य संख्यातगुणे हैं । उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है। श्रीन्द्रिय पर्याप्तकके आयुके आवाधास्थान संघातगुणे हैं । उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। चतुरिन्द्रिय पर्याप्तकके मायुके भावाधास्थान संण्यातगुणे हैं। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। द्वीन्द्रिय पर्याप्तकके [आयुके] आवाधास्थान [संख्यातगुणे हैं ] । उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। संक्षी पंचेन्द्रिय पर्याप्तकके नाम-गोत्रके आवाधास्थान और आवाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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