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________________ २९२ ] छक्खंडागमे वेयणाखंड [४, २, ६, १६४. मोहणीयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया। चउरिदियपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं जण्णिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव णामा-गोदाणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पज्जत्तयस्स नामा-गोदाणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव चउरिंदियपज्जत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहण्णिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव चदुण्णं कम्माणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तेइंदियपजत्तयस्स मोहणीयस्स जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपजत्तयस्स मोहणीयस्स जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव मोहणीयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तेइंदियपजत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । चउरिदियपजत्तयस्स मोहणीयस्स जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्स मोहणीयस्स जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव मोहणीयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पज्जत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । असणिपंचिंदियपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा संखेजगुणा । तस्सेव अपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव णामा-गोदाणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया। तस्सेव पजत्तयस्स णामा-गोदाणं उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया। तस्सेव अपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं है। चतुरिन्द्रिय पर्याप्तकके नाम-गोत्रकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्यातकके नाम-गोत्रकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके नाम-गोत्रकी उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तकके नाम-गोत्रकी उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है। उसी चतुरिन्द्रिय पर्याप्तकके चार कौकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके अपर्याप्तकके चार कमौकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके चार कौकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तकके चार कर्मोंकी उत्कृष्ट माबाधा विशेष अधिक है। त्रीन्द्रिय पर्याप्तकके मोहनीयकी जघन्य आवाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके मोहनीयकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। त्रीन्द्रिय पर्याप्तकके मोहनीयकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । चतुरिन्द्रिय पर्याप्तकके मोहनीयकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके मोहनीयकी उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तकके मोहनीयकी उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है । असंही पंचेन्द्रिय पर्याप्तकके नाम-गोत्रकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है । उसीके अपर्याप्तकके नाम गोत्रकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके नाम-गोत्रकी उत्कृष्ट आषाधा विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तकके नाम-गोत्रकी उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तकके चार कर्माकी जघन्य आवाधा विशेष अधिक है । उसीके अपर्याप्तकके Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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