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________________ ४, २, ६, १६४.] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे अप्पाबहुअपरूवणा [२८९ दो वि तुल्लाणि विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि संखेजगुणाणि । तस्सेव पजत्तयस्स णामा-गोदाणमाबाहट्ठाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुलाणि संखेजगुणाणि | चदुण्णं कम्माणमाबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि संखेजगुणाणि । चउरिदियअपजत्तयस्स णामा-गोदाणमाबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुलाणि संखेजगुणाणि । चदुण्णं कम्माणमाबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि संखेजगुणाणि । तस्सेव पजत्तयस्स णामा-गोदाणमाबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि संखेजगुणाणि । चदुण्णं कम्माणमाबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुलाणि विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि संखेजगुणाणि । असण्णिपंचिंदियअपजत्तयस्स गामा-गोदाणमाबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि संखेजगुणाणि । चदुण्णं कम्माणमाबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि संखेजगुणाणि । तस्सेव पजत्तयस्स णामा-गोदाणमाबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि संखेजगुणाणि । चदुण्णं कम्माणमाबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि अधिक हैं । मोहनीयके आवाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य संख्यातगुणे हैं । उसीके पर्याप्तकके नाम-गोत्रके आबाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य संख्यातगुणे हैं । चार कौंके आवाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य विशेष अधिक हैं। मोहनीयके आवाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य संख्यातगुणे हैं ।चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तकके नाम-गोत्रके आवाधास्थान व आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य संख्यातगुणे हैं । चार कर्मोंके आबाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य विशेष अधिक हैं। मोहनीयके आवाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य संख्यातगुणे हैं। उसीके पर्याप्तकके नाम-गोत्रके आवाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य संख्यातगुणे हैं । चार कर्मों के आवाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य विशेष अधिक हैं । मोहनीयके आवाधास्थान और आवाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य संख्यातगुणे हैं। असंही पंचेन्द्रिय अपर्याप्तकके नाम-गोत्रके आवाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य संख्यातगुणे हैं । चार कर्मों के आवाधास्थान और आवाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य विशेष अधिक हैं। मोहनीयके आवाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य संण्यातगुणे हैं। उसीके पर्याप्तकके नाम-गोत्रके आवाधास्थान और आबाधाकाण्डक दानों ही तुल्य संख्यातगुणे हैं। चार कमौके आवाधास्थान और आवाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य छ. ११-३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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