SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 212
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४, २, ६, ५०.] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे ठिदिबंधट्ठाणपरूवणा [ १८७ संखेज्जगुणो । टिदिबंधट्टाणाणि एगवाहियाणि । णामा-गोदाणं जहण्णओ हिदिवेधो संखेज्जगुणो । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। चदुण्णं कम्माणं जहण्णओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । मोहणीयस्स जहण्णओ द्विदिबंधो संखेज्जगुणो । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। एवं तेइंदिय-चउरिंदियपजत्ताणं पि' णेयव्वं । सव्वत्थोवो असण्णिपंचिंदियपजत्तयस्स णामा-गोदाणमाबाहट्ठाणविसेसो। आबाहाहाणाणि एगवाहियाणि । चदुण्णं कम्माणमाबाहाहाणविसेसो विसेसाहिओ। आबाहाहाणाणि एगरूवाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणविसेसो संखेजगुणो। आबाधाहाणाणि एगरूवाहियाणि । आउअस्स जहणिया आबाहा संखेजगुणा। जहण्णओ हिदिबंधो संखेजगुणो । णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा संखेजगुणा । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया। मोहणीयस्स जहणिया आबाहा संखेजगुणा । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । आउअस्स आबाहाहाणविसेसो संखेजगुणो। आबाहाट्टाणाणि एगरूवाहियाणि। उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया। हिदिबंधहाणविसेसो असंखेजगुणो । हिदिबंधहाणाणि एगरूवाहियाणि । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। णामा-गोदाणं डिदिबंधहाणविसेसो असंखेजगुणो। द्विदिबंधट्ठाणाणि एगरूवाहियाणि । चदुण्णं कम्माणं हिदिबंधसंख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे अधिक हैं। नाम प गोत्रका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है। उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । चार कर्मोंका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक हैं। मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है। उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। इसी प्रकार श्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय पर्याप्तकोंके भी ले जाना चाहिये। ___असंज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्तकके नाम व गोत्रका आबाधास्थानविशेष सबसे स्तोक है। आवाधास्थान एक रूपसे अधिक हैं । चार कर्मों का आवाधास्थान विशेष विशेष अधिक है । भावाधास्थान एक रूपसे अधिक हैं । मोहनीयका आवाधास्थानविशेष संप्यातगुणा है। आबाधास्थान एक रूपसे अधिक हैं । आर की जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है । नाम व गोत्रकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। चार कमौकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है । मोहनीयकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है । उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। आयुका आवाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है। आबाधास्थान एक रूपसे अधिक हैं। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। स्थितिबन्धस्थान विशेष असंख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे अधिक हैं । उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । नाम व गोत्रका स्थितिबन्धस्थानविशेष असंख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान १ अ-का-ताप्रतिषु 'पि' इत्येत्पदं नोपलभ्यते । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy