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________________ ४, २, ६, ५०.] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे ठिदिबंधट्ठाणपरूवणा उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । मोहणीयस्स जहण्णओ हिदिबंधो संखेनगुणो । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। सव्वत्थोवो बेइंदियअपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणमाबाहाहाणविसेसो । आबाहाहाणाणि एगरूवाहियाणि । चदुण्णं कम्माणमाबाहाहाणविसेसो विसेसाहिओ। आबाहाहाणाणि एगरूवाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाट्ठाणविसेसो संखेजगुणो। आबाहाहाणाणि एगरूवाहियाणि । आउअस्स जहणिया आबाहा संखेजगुणा । तस्सेव जहण्णओ हिदिबंधो संखेजगुणो । आबाहाहाणविसेसो संखेजगुणो । आबाहाहाणाणि एगरूवाहियाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । णामा-गोदाणं जहण्णिया आबाहा संखेजगुणा । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया। उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । मोहणीयस्स जहणिया आबाहा संखेजगुणा । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । आउअस्स हिदिबंधट्ठाणविसेसो संखेजगुणो । हिदिबंधहाणाणि एगख्वाहियाणि । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । णामा-गोदाणं हिदिबंधट्ठाणविसेसो असंखेजगुणो । हिदिबंधट्टाणाणि एगरूवाहियाणि । चदुण्णं कम्माणं हिदिबंधहाणविसेसो विसेसाहिओ। हिदिबंधहाणाणि एगरूवाहियाणि । मोहणीयस्स हिदिबंधट्ठाणविसेसो संखेजगुणो । हिदिबंधट्टाणाणि एगरूवाहियाणि । णामा-गोदाणं जहण्णओ हिदिबंधो स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है । उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। द्वीन्द्रिय अपर्याप्तकके नाम व गोत्रका आबाधास्थानविशेष सबसे स्तोक है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । चार काँका आबाधास्थानविशेष विशेष अधिक है। आबाधास्थान एक रूपसे अधिक हैं । मोहनीयका आवाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आवाधास्थान एक रूपसे अधिक हैं। आयुकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है । उसीका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है। आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आवाधास्थान एक रूपसे अधिक हैं । उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है। नाम व गोत्रकी जवन्य आबाधा संख्यातगुणी है। उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है । चार कर्मों की जघन्य आबाधा विशेष अधिक हैं । उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है । मोहनीयकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। आयुका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे अधिक हैं । उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। नाम व गोत्रका स्थितिबन्धस्थानविशेष असंख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे अधिक हैं। चार कर्मोका स्थितिबन्धस्थानविशेष विशेष अधिक है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे अधिक हैं। मोहनीयका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है । स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे अधिक हैं । नाम व गोत्रका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है। उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। छ. ११-२४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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