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________________ ४, २, ६, ५०. .] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे ठिदिबंधट्ठाण परूवणा [ १७९ परत्थाणे पयदं—– सव्वत्थोवो सुहुमेइंदियअपज्जत्तयस्स आबाहाङाणविसेसो । आबाहाद्वाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । बादरेइंदियअपज्जत्तयस्स आवाहवाणविसेसो संखेजगुणो | आबाहाद्वाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । सुहुमेइंदियपज्ञ्जत्तयस्स आबाहाविस संखेजगुण । आबाहाट्टणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । बादरेइंदियपजत्तयस्स आबाद्वाणविसेसो संखेजगुणो । आबाहद्वाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । बेइंदियअपज्जत्तयस्स आबाहट्ठाणविसेसो असंखेज्जगुणो । आबाहाद्वाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव पज्जत्तयस्स आबाहद्वाणविसेसो संखेज्जगुणो । आबाहद्वाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । [ 'तीइंदियअपजत्तयस्स आवाहाद्वाणविसेसो संखेज्जगुणो । आबाहाद्वाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । ] तस्सेव पज्जत्तयस्स आबाहट्ठाण विसेसो संखेज्जगुणो । आबाहद्वाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । चउरिंदियअपजत्तयस्स आवाहट्ठाणविसेसो संखेजगुणो । आवाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव पञ्जत्तयस्स आवाहट्ठाणविसेसो संखेrगुणो । बाहाद्वाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । असण्णिपंचिंदियअपज्जत्तयस्स आबाहट्ठाण विसेसो संखेजगुणो । आबाहाद्वाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव पज्जत्तयस्स आबाहाट्ठाणविसेसो संखेज्जगुणो । आबाहाद्वाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । बादरेइंदियपज्जत्तयस्स जहणिया आबाहा संखेजगुणा । सुहुमेइंदियपत्तयस्स जहणिया अब परस्थान अल्पबहुत्वका प्रकरण है - सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तकका आबाधास्थानविशेष सबसे स्तोक है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आबाधास्थान एक रूपसे दिशेष अधिक हैं । बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तकका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । द्वीन्द्रिय अपर्याप्तकका आबाधास्थानविशेष असंख्यातगुणा है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । उसके पर्याप्तकका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । त्रीन्द्रिय अपर्याप्तक का आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । उसीके पर्याप्तकका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है | आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तकका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । उसीके पर्यातकका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। असंशी पंचेन्द्रिय अपर्याप्तकका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । उसीके पर्याप्तका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तककी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तककी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । बादर १ कोष्ठवस्थोऽयं पाठ अ आ-का-ताप्रतिषु नोपलभ्यते, मप्रतितोऽत्र योजितः सः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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