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________________ ४, २, ६, ५०.] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे ठिदिबंधट्ठाणपरूवणा [१६५ सुहुमेइंदियपजत्तयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिआ। बादरएइंदियपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिआ । बेइंदियपज्जत्तयस्स जहणिया आबाहा संखेजगुणा । तस्सेव अपजतयस्स जहणिया आबाहा विसेसाहिआ । तस्सेव अपजत्तयस्स उक्कसिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पजत्तयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया। तेइंदियपज्जत्तयस्स जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपजत्तयस्स जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपजत्तयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पज्जत्तयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । एवं चरिंदियपजत्तापज्जत्ताणं पि णेदव्वं । तदो असण्णिपंचिंदियपजतयस्स जहणियां आबाहा संखेजगुणा । तस्सेव अपज्जत्तयस्स जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपजत्तयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पज्जत्तयस्स उक्कसिया आबाहा विसेसाहिया । तदो सण्णिपंचिंदियपजत्तयस्स जहणिया आबाहा संखेजगुणा । तस्सेव अपजत्तयस्स जहणिया आबाहा संखेजगुणा । तस्सेव अपजत्तयस्स आबाधाहाणविसेसो संखेजगुणो । आबाधाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पजत्तयस्स आबाधाहाणविसेसो संखेजगुणो। आबाहाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । एवमव्वोगाढमप्पाबहुगं समत्तं । अपर्याप्तककी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तककी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तककी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है।दीन्द्रिय पर्याप्तककी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। उसीके अपर्याप्तककी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके अपर्याप्तककी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तककी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। त्रीन्द्रिय पर्याप्तककी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तककी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तककी उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तककी उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है । इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय पर्याप्तक व अपर्याप्तकके भी ले जाना चाहिये। इससे आगे असंज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्तककी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। उसीके अपर्याप्तककी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तककी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तककी उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है। उससे संशी पंचेन्द्रिय पर्याप्तककी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। उसीके अपर्याप्तककी जघन्य आषाधा संख्यातगुणी है । उसीके अपर्याप्तकका आवाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है। आवाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तकका आवाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है। इस प्रकार अब्वोगाढअल्पबहुत्व समाप्त हुआ। १ अ-आ-काप्रतिषु ' उक्क०', तापतौ ' उक्क० (जह०)' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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