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________________ २४२ २४८ विषय-सूची ४२ उपर्युक्त जीवोंमें मोहनीय कर्मकी निषेकरचनाका क्रम । ४३ पंचेंद्रिय संज्ञी सम्यग्दृष्टि अथवा मिथ्यादृष्टि पर्याप्त जीवोंमें आयु कर्मकी निषेकरचनाका क्रम २४५ ४४ पंचेंद्रिय संज्ञी मिथ्यादृष्टि पर्याप्तोंमें नाम व गोत्रकी निषेकरचनाका क्रम २४६ ४५ पंचेंद्रिय संज्ञी मिथ्यादृष्टि अपर्याप्तोंमें सात कर्मोकी निषेकरचनाका क्रम २४७ ४६ पंचेंद्रियादिक अपर्याप्तों तथा सूक्ष्म एकेंद्रिय पर्याप्त-अपर्याप्तोंमें आयुकी निषेक रचनाका क्रम। ४७ पंचेंद्रिय असंज्ञी, चतुरिन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, द्वीन्द्रिय और बादर एकेंद्रिय पर्याप्तोंमें आयुको छोड़कर शेष सात कर्मोंकी निषेकरचनाका क्रम । २४९ ४८ उपर्युक्त जीवोंमें आयु कर्मकी निषेकरचनाका क्रम । २५१ ४९ उपर्युक्त अपर्याप्तोंमें तथा सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्त-अपर्याप्तोंमें सात कर्मोकी निषेकरचनाका क्रम २५२ ५० परम्परोपनिधाके द्वारा विविध जीवोंमें निषेकरचनाक्रमकी प्ररूपणा २५३ ५१ श्रेणिरूपणासे सूचित अवहार, भागाभाग और अल्पबहुत्व अनुयोगद्वारोंकी प्ररूपणा। २५८ (आबाधाकाण्डकारूपणा) ५२ पंचेंद्रिय संज्ञी व असंज्ञी आदि जीवोंमें आयुको छोड़कर शेष सात कर्मोंके आबाधा काण्डक करनेका नियम।। ५३ आयुकर्मसम्बन्धी आबाधाकाण्डकप्ररूपणा न करनेका कारण । २६९ (अल्पबहुत्व) पंचेन्द्रिय संज्ञी मिथ्यादृष्टि पर्याप्त-अपर्याप्त जीवोंमें सात कर्मोकी जघन्य-उत्कृष्ट आबाधा आदिका अल्पबहुत्व । पंचेन्द्रिय संज्ञी व असंज्ञी पर्याप्त जीवोंमें जघन्य व उत्कृष्ट आबाधा आदिका अल्पबहुत्व। २७३ पंचेन्द्रिय संज्ञी व असंज्ञी अपर्याप्तों तथा शेष चतुरिन्द्रियादि पर्याप्त-अपर्याप्त जीवोंमें आयुसम्बन्धी जघन्य आबाधा आदिका अल्पबहुत्व । २७५ पंचेन्द्रिय असंज्ञी आदि पर्याप्त-अपर्याप्तोंमें सात कर्मोकी आबाधा आदिका भरपबहुत्व। २७६ एकेन्द्रिय बादर व सूक्ष्म पर्याप्त-अपर्याप्तोंमें सात कर्मोकी आबाधा आदिका अल्पबहुत्व । २७८ श्री वीरसेन स्वामीके द्वारा प्रकृत अल्पबहुत्व सूचित स्वस्थान-परस्थान अल स्वस्थान अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा । परस्थान अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा।। २८७ ६१ प्रकृत अल्पबहुत्व सम्बन्धी विषम पदोंकी पंजिका । २६७ २७९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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