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________________ - १३६ १४७ .१४८ विषय-सूची २० अल्पबहुत्व प्ररूपणामें जघन्य, उत्कृष्ट और जघन्य-उत्कृष्ट पदविषयक ३ अनुयोग- . द्वारोंका निर्देश। २१ जघन्य पदकी अपेक्षा आठों कर्मोंकी जघन्य वेदना सम्बन्धी परस्पर समानताका उल्लेख। २२ उत्कृष्ट पदकी अपेक्षा आठों कर्मोंकी वेदनाका अल्पबहुत्व । २३ जघन्य-उत्कृष्ट पदकी अपेक्षा उक्त कर्मवेदनाका अल्पबहुत्व । १३८ प्रथम चूलिका २४ मूलप्रकृति-स्थितिबन्धकी प्ररूपणामें स्थितिबन्धस्थानप्ररूपणा, निषेकप्ररूपणा, आबाधाकाण्डकप्ररूपणा और अल्पबहुत्व, इन ४ अनुयोगद्वारोंका निर्देश करके उनकी आवश्यकताका दिग्दर्शन । (स्थितिबन्धस्थानप्ररूपणा) २५ चौदह जीवसमासोंमें स्थितिबन्धस्थानोंका अल्पबहुत्व । १४२ २६ इस अल्पबहुत्वद्वारा सूचित चार प्रकारके अल्पबहुत्वमेंसे स्वस्थान अव्वोगाढ . अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा । २७ परस्थान अव्वोगाढअल्पबहुत्व । २८ स्वस्थान मूलप्रकृतिअल्पबहुत्व । ....... १५० २९ चौदह जीवसमासोंमें आठों कर्मोंका परस्थान अल्पबहुत्व । ३० व्युत्पत्तिविशेषसे स्थितिबन्धस्थानका अर्थ आबाधास्थान करके उनकी प्ररूपणा, प्रमाण और अल्पबहुत्वके द्वारा व्याख्या । १६२. ३१ प्रस्तुत अल्पबहुत्व प्ररूपणामें स्वस्थान अव्वोगाढ़अल्पबहुत्व । १६३ ३२ परस्थान अव्वोगाढअल्पबहुत्व । - : १६४ ३३ स्वस्थान मूलप्रकृतिअल्पबहुत्व । -१६६ ३५ परस्थान मूलप्रकृतिअल्पबहुत्व । ३५ उपर्युक्त दोनों अल्पबहुत्वदण्डकोंकी सम्मिलित प्ररूपणामें स्वस्थान अव्वोगाढ अल्पबहुत्व ३६ परस्थान अव्वोगाढअल्पबहुत्व १७९ ३७ खस्थान मूलप्रकृतिअल्पबहुत्व १८२ ३८ परस्थान मूलप्रकृतिअल्पबहुत्व ३९ चौदह जीवसमासोंमें संक्लेश-विशुद्धिस्थानोंका अल्पबहुत्व ४० जघन्य व उत्कृष्ट स्थितिबन्धका अल्पबहुत्व २२५ (निषेकप्ररूपणा) ४१ अनन्तरोपनिधा द्वारा पंचेंन्द्रिय संज्ञी मिथ्यादृष्टि पर्याप्त जीवोंमें ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय और अन्तराय कर्मोकी निषेकरचनाका क्रम २३८ १६९ १७७ १९० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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