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४, २, ३, ९. 1. वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे सामित्त बंधेण सरिसं ट्ठिदिसंतकम्म कुणदि । एवमेदाणि खवगसेडिम्हि भणिदूणागदसव्वहिदिसंतकम्मट्ठाणाणि पुणरुत्ताणि चेव, एइंदियजहण्णबंध पेक्खिदूण एदासिं हिदीण बहुत्तुवलंमादो ।
पुणो एइंदियट्टिदिसंतकम्मम्मि पलिदोवमस्स संखेज्जदिभागमेतहिदिखेडयमागाएदि । तं जाव पददि ताव अंतोमुहुत्तट्ठाणाणि अधढिदिगलणेण लभंति । ताणि पुणरुत्ताणि, एइंदिसु लहाणेसु पवेसादो । पुणो आगाइदकंदयस्स चरिमफालीए पदिदाए एइंदियवीचारहाणेहिंतो असंखेज्जगुणमोसरिदूण अण्णमपुणरुत्तट्ठाणं होदि । पुणो बिदियसमए अण्णं टिदिखंडयमागाएदि । तस्स विदिखंडयस्स उक्कीरणकालम्मि एगसमए गलिदे अण्णमपुणरुत्तट्ठाणं होदि । बिदियसमए गलिदे बिदियमपुणरुत्तट्टाणं होदि । तदिंय. समए गलिदे तदियमपुणरुत्तणिरंतरट्ठाणं होदि । एवं णिरंतरट्ठाणाणि .ताव लब्भंति जावे उक्कीरणकालदुचरिमसमओ त्ति । पुणो चरिमफाली पददि । तीए पदिदाए पलिदोवमस्स संखेज्जदिभागमतरियूण अण्णमपुणरुत्तट्ठाणं होदि । पुणो अण्णं द्विदिकंदयमागाएदि । तस्स हिदिकंदयस्स उक्कीरणकालम्मि एगसमए गलिदे अण्णमपुणरुत्तणिरंतरहाणं होदि । बिदियसमए गलिदे अण्णमपुणरुत्तणिरंतरट्ठाणं होदि । एवं समऊणुक्कीरणद्धामेत्ताणि अपुणरुत्तणिरंतरट्ठाणाणि लब्भंति । पुणो उक्कीरणकालचरिमसमए गलिदे चरिमफालिसत्वको करता है। इस प्रकार क्षपकथेणिमें कहकर आये हुए ये सभी स्थितिसत्त्वस्थान पुनरुक्त ही हैं, क्योंकि, एकेन्द्रिय जीवके जघन्य बन्धकी अपेक्षा ये स्थितियां बहुत पायी जाती हैं।
- पुनः एकेन्द्रियके स्थितिसस्वमेंसे पल्योपमके संख्यातवें भाग मात्र स्थितिकाण्डकको ग्रहण करता है। वह जब तक विघटित होता है तब तक अधःस्थिति के गलनेसे अन्तर्मुहूर्त मात्र स्थान प्राप्त होते हैं। वे पुनरुक्त हैं, क्योंकि, वे एकेन्द्रियों में प्राप्त स्थानोंके अन्तर्गत हैं। पश्चात् ग्रहण किये गये स्थितिकाण्डककी अन्तिम फालिके विघटित होनेपर एकेन्द्रिय सम्बन्धी वीचारस्थानोंकी अपेक्षा असंख्यातगुणा हटकर दूसरा अपुनरुक्त स्थान होता है। तत्पश्चात् द्वितीय समयमें दूसरे स्थितिकाण्डकको ग्रहण करता है। उस स्थितिकाण्डकके उत्कीरणकालमेंसे एक समयके गलनेपर दूसरा अपुनरुक्त स्थान होता है। द्वितीय समयके गलने पर द्वितीय अपुनरुक्त स्थान होता है। तृतीय समयके गलनेपर तृतीय अपुनरुक्त निरन्तर स्थान होता है। इस प्रकार उत्कीरणकाल के द्विचरम समय तक निरन्तर स्थान पाये जाते हैं। फिर अन्तिम फालि विघटित होती है। उसके विघटित हो जानेपर पल्योपमके संख्यातवें भाग मात्र अन्तर करके अन्य अपुनरुक्त स्थान होता है। तत्पश्चात अन्य स्थितिकाण्डकको प्रहण करता है। उस स्थितिकाण्डकके उत्कीरणकालमेंसे एक समयके गलनेपर अन्य अपुनरुक्त निरन्तर स्थान होता है । द्वितीय समयके गलनेपर अन्य अपुनरक्त निरन्तर स्थान होता है । इस प्रकार एक समय कम उत्कीरणकाल प्रमाण मपुनरुक्त निरन्तर स्थान पाये जाते हैं। पश्चात् उत्कीरणकालके अन्तिम समय
का-ताप्रत्योः 'असंखेज्जदि
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