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१, २, १, २८.] वेयणमहाहियोर वेयणदव्वविहाणे सामित्तं
[७१ होति । पुव्वभागहारतिभागेण भागे हिदे तिण्णि पक्खेवा लब्भंति । तेसु तत्थेव पक्खित्तेसु चउत्थट्ठाणजीवा होति । एवं णेदव्वं जाव गुणहाणिअद्धाणं समत्तमिदि। एवं सव्वगुणहाणीणं पि छेदभागहारो जोजयव्वो ।
__ परंपरोवणिधा वुच्चदे । तं जहा-- जहण्णजोगट्ठाणजीवेहिंतो सेडीए असंखेज्जदिभागं गंतूण जीवा दुगुणा होति । पुणों वि तेत्तियं चेव अद्धाणं गंतूण जीवाणं दुगुणवड्डी होदि । एवं णेयव्वं जाव जवमज्झे त्ति । तदो उवरि तेत्तियं चेव अद्धाणं गंतूण जीवाणं दुगुणहाणी । एवं णेदव्वं जाव उक्कस्सजोगट्ठाणजीवे त्ति । एगजीवदुगुणहाणिमेत्तद्धाणं गंतूण जदि एगा गुणहाणिसलागा लब्भदि तो सव्वजोगट्ठाणद्धाणम्मि किं लभदि ति गुण
देनेपर तृतीय स्थानके जीवोंका प्रमाण होता है। पुनः पूर्व भागहारके त्रिभागका भाग देनेपर तीन प्रक्षेप प्राप्त होते हैं । उनको उक्त जीवों में मिला देनेपर चतुर्थ स्थानके जीवोंका प्रमाण होता है। इस प्रकार गुणहानिके जितने स्थान हैं उनके समाप्त होने तक ले जाना चाहिये । इस प्रकार सब गुणहानियोंके छेदभागहारको देखना चाहिये।
विशेषार्थ-अंकसंदृष्टिकी अपेक्षा प्रक्षेपभागहारका प्रमाण चार है। इसका जघन्य योगस्थानके जीवोंकी संख्या १६ में भाग देनेपर ४ ही लब्ध आते हैं। अतः इसे १६ में मिला देनेपर दूसरे स्थानके जीवोंकी संख्या २० आती है। फिर पूर्वोक्त भागहार ४ के आधे अर्थात् २ का जघन्य योगस्थानके जीवोंकी संख्या १६ में भाग देनेपर प्राप्त हुए दो प्रक्षेप ८ को जघन्य योगस्थानके जीवोंकी संख्या १६ में मिला देनेपर तीसरे स्थानकी संख्या २४ आती है। फिर पूर्वोक्त भागहारके तीसरे भाग ४ का भाग जघन्य योगस्थानके जीवोंकी संख्यामें देनेपर प्राप्त हुए तीन प्रक्षेप १२ को पूर्वोक्त राशि १६ में मिला देनेपर चौथे स्थानकी संख्या २८ आती है । इसी प्रकार सब गुणहानियों में जानना चाहिये ।
___ अब परम्परोपनिधाका कथन करते हैं । वह इस प्रकार है- जघन्य योगस्थानके जीवोंसे श्रेणिके असंख्यातवें भाग प्रमाण स्थान जाकर जीव दुगुणे होते हैं। फिर भी उतने ही स्थान जानेपर जीवोंकी दुगुणी वृद्धि होती है । इस प्रकार यवमध्य तक ले जाना चाहिये । उससे आगे उतने ही स्थान जाकर जीवोंकी दुगुणी हानि होती है । इस प्रकार उत्कृष्ट योगस्थानके जीवोंकी संख्या प्राप्त होने तक ले जाना चाहिये । एक जीव दुगुणहानि प्रमाण स्थान जाकर यदि एक गुणहानिशलाका प्राप्त होती है तो सब योगस्थान अध्वानमें क्या प्राप्त होगा, इस प्रकार गुणहानिका फल राशिसे गुणित इच्छा
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२ प्रतिषु ' सवुत्तमिदि ' इति पारः।
१ प्रतिषु ' ते तत्थेव पक्खित्ते ' इति पाठः। .३ प्रतिजदि एसो गुण-' इति पाठः। ...१०.
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