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७२] 'छपखंडागमे वेयणाखंडं.
( १, २, ४, २८. मज्झं खंडिय लद्धे जवमज्झादो अवणिदे तस्स दोपासहिदजीवपमाणं होदि । पुणो पुबिल्लभागहारादो रूचूणेण भागहारेण पुध पुध दोपासहिदजीवणिसेगे खंडिय अवणिदे तदियणिसेगा होति । एवं णेदव्वं जाव दोसु वि पासेसु गुणहाणिअद्धाणं समत्तं त्ति । एवं सेंसहेट्ठिम-उवरिमगुणहाणीणं पि वत्तव्वं, विसेसाभावादो । रूवूणभागहारस्स एगगुणहाणिणियमत्ते कारणं पुव्वं व वत्तव्यं ।
छेदभागहारेण अणतरोवणिधा वुच्चदे। तं जहा- पक्खेवभागहारेण जहण्णजोगट्ठाणजीवे खंडिय लद्धे तत्थेव पक्खित्ते बिदियट्ठाणजीवा होति । पुणो पुव्वभागहारदुभागण जहण्णट्ठाणजीवेसु अवहिरि देसु दो पक्खेवा लब्भंति । तेसु तत्थेव पक्खित्तेसु. तदियट्ठाणंजीवा
है - दो गुणहानियोंसे यवमध्यको खण्डित कर प्राप्त राशिको यवमध्यसे घटानेपर उसके दोनों पाश्चों में स्थित जीवोंका प्रमाण होता है । फिर पूर्वोक्त भागहारसे एक कम भागहार द्वारा पृथक् पृथक् दोनों पार्श्वस्थ जीवनिवेकोंको खण्डित कर प्राप्त राशिको उभय पार्श्वस्थ जीवनिषेकोमेसे कम करनेपर तृतीय स्थानके निषेक होते हैं। इस प्रकार दोनों ही पार्श्वभागों में गुणहानिके कालके समाप्त होने तक ले जाना चाहिये । इसी प्रकार शेष अधस्तन व उपरिम गुणहानियोंका भी कथन करना चाहिये, क्योंकि, इससे उसमें कोई विशेषता नहीं है । रूपोन भागहारकी एक गुणहानिनियमतामें कारण पूर्वके ही समान कहना चाहिये।
विशेषार्थ- आशय यह है कि जहां विवक्षित भागहारमेंसे एक कम करके उससे आगेके स्थानकी संख्या प्राप्त की जाती है वह रूपोन भागहार होता है। उदाहरणार्थ दो गुणहानियोंके काल ८ से यवमध्य १२८ के भाजित करनेपर प्राप्त हुई राशि १६ को यवमध्यमेसे घटा देनेपर पार्श्वस्थ दोनों राशियां ११२, ११२ प्राप्त होती हैं । फिर पूर्वोक्त भागहारमेंसे १ कम करके ७ का भाग उक्त दोनों राशियों में देनेपर जो १६ लब्ध आये उसे घटा देनपर तीसरे स्थानकी राशि ९६ प्राप्त होती है। फिर इस भागहारमेंसे १ कम करके ६ का भाग ९६ में देनेपर जो १६ लब्ध आये उसे घटा देनेपर चौथे स्थानकी राशि ८० प्राप्त होती है। इसी प्रकार रूपोन भागहारके द्वारा सब स्थानों की संख्या ले आनी चाहिये।
अब छेदभागहार द्वारा अनन्तरोपनिधाका कथन करते हैं । वह इस प्रकार हैप्रक्षेपभागहारसे जघन्य योगस्थानके जीवोंको खण्डित कर लब्ध राशिको उलीमें मिला देनेपर द्वितीय स्थानके जीवों का प्रमाण होता है । पुनः पूर्व भागहारके द्वितीय भागका जघन्य स्थानके जीवोंमें भाग देनेपर दो प्रक्षेप प्राप्त होते हैं । उनको उक्त जीवोंमे मिला
१ प्रतिषु बिदियट्ठाण ' इति पाठः।
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