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________________ ४, २, ४, १८६.] वेयणमहाहियारे वैयणदव्वविहाणे चूलिया (४६९ सलागायामाओ तदियच उत्थाओ संपुण्णायामाओ उड्डायारेण ठविय तत्थ पढमपंती एगादिएगुत्तरएगफद्दयवग्गणसलागवग्गगुणहाणिफद्दयसलागाहि गुणेयवा । विदियांती एगादिएगुत्तरदुगुणसंकलणागुणिदएगफद्दयवग्गणवग्गेण गुणेदव्वा । तदियपंती वि फद्दयसलागगुणरूवूणवग्गणसलागसंकलगाए गुणेयवा । चउत्थपंती वि एगादिएगुत्तररूवेहि गुणरूवूणवग्गणसलागसंकलणाए गुणेयव्वा । अंतिमदोपंतीसु पढमट्ठाणहिददव्वं विदियगुणहाणिपढमफद्दयम्मि अहियं होदि । चदुसु वि पंतीसु बिदियादिठाणट्ठिददव्वं बिदियादिफद्दएसु अहियं होदि। पुणो एदासिं चदुण्णं पंतीणं मेलावणविहाणं कस्सामो। तं जहा-रूवूणफद्दयसलागसंकलणाए पढमपंतिपढमट्ठाणदिददव्वे गुणिदे पढमपंतिदव्वमागच्छदि । तस्स पमाणमेदं |८| ० २ ४ [४ | ९/९ | ९ || पुणो रूवूणफद्दयसलागसंकलणासंकलणाए २ | दुगुणाए बिदियपंतिपढमट्ठाणट्ठिददव्वे गुणिदे बिदियपंतीए सव्वदव्वं पिडिणागच्छदि । तं च एदं | ८| ० २ |४|४| २।। पुणो तदियपंतीए पढमदव्वे | | फद्दयसलागाहि गुणिदे तदियपंतिदव्वं सव्वमागच्छदि । तस्स तथा तृतीय व चतुर्थ पंक्ति सम्पूर्ण आयत, इस प्रकार चार पंक्तियों को ऊर्धाकारसे स्थापित कर उनसे प्रथम पंक्तिको एकको आदि लेकर उत्तरोत्तर एक-एक अधिक एक स्पर्धककी वर्गणाशलाकाओं, वर्गों व गुणहानिकी स्पर्धकशलाकाओंसे गुणित करना चाहिये । द्वितीय पंक्तिको एकको आदि लेकर एक अधिक दुगुणी संकलनासे गुणित एक स्पर्धककी वर्गणाके वर्गसे गुणित करना चाहिये । तृतीय पंक्तिको भी स्पर्धकशलाकाओंसे गुणित एक कम वर्गणाशलाकासंकलनासे गुणा करना चाहिये । चतुर्थ पंक्तिको भी एकको आदि लेकर उत्तरोत्तर एक-एक आधिक रूपोंसे गुणित एक कम वर्गणाशलाकासंकलनासे गुणित करना चाहिये। अन्तिम दो पंक्तियों में प्रथम स्थानमें स्थित द्रव्य द्वितीय गुणहानिके प्रथम स्पर्धकमें अधिक होता है। चारों ही पंक्तियों में द्वितीयादि स्थानोंमें स्थित द्रव्य प्रथम गुणहानिके द्वितीयादि स्पर्धकॉमें अधिक होता है। - अब इन चार पंक्तियोंके मिलाने के विधानको कहते हैं । वह इस प्रकार है-एक कम स्पर्धकशलाकासंकलनासे प्रथम पंक्तिके प्रथम स्थानमें स्थित द्रव्यको गुणित करनेपर प्रथम पंक्तिका द्रव्य आता है। उसका प्रमाण यह है (मूलमें देखिये। फिर एक कम स्पर्धकशलाकासंकलना-संकलनाको दूना करके उससे द्वितीय पंक्तिके प्रथम स्थानमें स्थित द्रव्यको गुणित करनेपर द्वितीय पंक्तिका सब द्रव्य एकत्रित होकर आता है। वह यह है (मूलमें दोखिये)। फिर तृतीय पंक्तिके प्रथम स्थानमें स्थित द्रव्यको स्पर्धकशलाकाओंसे गुणित करनेपर तृतीय पंक्तिका सब द्रव्य आता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001404
Book TitleShatkhandagama Pustak 10
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1954
Total Pages552
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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